जैसा की आप सब जानते है, अगर हमें किसी को समकालीन “भारतीय राजनीति का ग्रैंड ओल्ड मैन’ पद से सम्मानित करना हो तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सबकी पसंद होंगे। अटल जी को भारतीय राजनीति के ‘भीष्म पितामह’ के रूप में भी जाना जाता है। अटल जी के आचरण और व्यक्तित्व ने न केवल समस्त देशवासियों का, बल्कि विपक्षी दलों का भी दिल जीता। अटल जी के जीवन की है यह कुछ प्रमुख बतातें जो शायद आप जानते नहीं होंगे
महात्मा गांधी के प्रबल अनुयायी होने के नाते अटल जी और उनके बड़े भाई ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और यहाँ तक कि उन्हें 23 दिनों की अवधि के लिए जेल भी भेजा गया था। यही एक घटना थी जिसके माध्यम से अटल जी ने भारतीय राजनीति के पटल पर अपना कदम रखा था। उस समय वह केवल अठारह साल के थे।
हमेशा से एक अच्छे वक्ता रहते हुए, अटल जी ने अपने वक्तृत्व कौशल से जवाहरलाल नेहरू को काफी प्रभावित किया था। यहाँ तक कि नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल जी भारत के प्रधानमंत्री होंगे।
अटल जी ने विवाह नहीं किया। उन्होंने अपना जीवन देश के भलाई के लिए एक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प कर लिया था।
अटल जी एक बेहद कुशल एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं। उनकी बहुत सी कविताएं है जिन्हे आप सुनकर हैरान रह जाएंगे की एक नेता होने के साथ इतना अच्छा कवि कैसे हो सकता है।
क्या आपको पता है कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर एक बार या दो बार नहीं, बल्कि तीन बार नियुक्त हुए। पहली बार तब, जब 1996 में भाजपा लोकसभा के आम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। हालांकि, लोकसभा में बहुमत प्राप्त न कर पाने के कारण उन्होंने 13 दिनों के उपरांत 1996 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
देश की सुरक्षा के लिए अटल जी ने परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से बिना डरे उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कराया था। आपको बता दें की यह भारत की सुरक्षा को लेकर एक बहुत बड़ा कदम था।
1998 के लोकसभा चुनावों में अटल जी ने अन्य राजनीतिक दलों की मदद से बहुमत साबित किया। और एक बार फिर से वह प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए। लेकिन इस सरकार का कार्यकाल मात्र 13 महीने की अवधि तक ही चला और एक बार फिर से 1999 में आम चुनाव हुए। इस बार वह भारत के 10वें प्रधानमंत्री बने और 5 साल की पूरी अवधि के लिए सरकार का गठन किया।
अब तक केवल वही ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे है, जिन्होंने 5 साल की पूर्ण अवधि के लिए सरकार गठित की।अब देखना होगा कि इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी क्या छाप छोड़ते है।
अटल बिहारी वाजपेयी 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए। यही नहीं, वह दो बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए थे। तमाम वजहों में यह भी एक वजह है कि उन्हें भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह माना जाता है।
क्या आपको पता है कि अटल जी अब तक के मात्र एक ऐसे सांसद हैं, जिन्हें एक साथ चार अलग-अलग राज्यों से निर्वाचित किया गया था। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात वे राज्य थे, जहाँ से उन्हें निर्वाचित किया गया था।
वाजपेयी भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया था। क्या अभी भी आपको उनके वक्तृत्व कौशल पर कोई संदेह है?
अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण पिछले दो दशकों में उन्हें 10 सर्जरी का सामना करना पड़ा है। वर्तमान में, महान वक्ता अटलजी पक्षाघात(लकवा) की वजह से बहुत कम बोलते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में अपना महान कैरियर महात्मा रामचंद्र वीर की ‘अमर कीर्ति विजय पताका’ को समर्पित कर दिया। उनके अनुसार इस कविता ने उनकी ज़िन्दगी बदल दी थी।
उनके जीवन से जुड़े कम ज्ञात तथ्यों में से एक यह है कि उन्होंने दो मासिक पत्रिकाओं राष्ट्र धर्म और पांचजन्य में संपादक के रूप में काम किया। इसके अलावा दो दैनिक समाचार पत्रों दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन का संपादन किया।
वैसे, यह वाजपेयी के बारे में एक और दिलचस्प बात है कि वह उन भाग्यशाली लोगों में से है, जिन्होंने अपनी शिक्षा अपने माता-पिता के साथ ग्रहण की। वाजपेयी ने अपने पिता के साथ कानपूर के प्रसिद्ध डीएवी कॉलेज से कानून की डिग्री ली। यह ज़ाहिर है कि जब उनके पिता ने वाजपेयी को दाखिला लेते हुए देखा तो, उनके पिता की भी बेहद रूचि बन गई और उन्होंने भी कानून पढ़ने की प्रबल इच्छा व्यक्त की।