Sunday, 30 September 2018

महत्‍वपूर्ण यौगिकों के रसायनिक सूत्र एवं उनके अनुप्रयोग

महत्‍वपूर्ण यौगिकों के रसायनिक सूत्र एवं उनके अनुप्रयोग

1. यौगिक का नाम: कैल्शियम कार्बोनेट

सूत्र: CaCO3

अनुप्रयोग: खट्टी डकार और जलने से आराम के लिये दवा के तौर पर। कैल्शियम पूरक के तौर पर भी प्रयोग होता है।

2. यौगिक का नाम: सोडियम क्‍लोराइड

सूत्र: NaCl

अनुप्रयोग: स्‍वादिष्‍ट खाना बनाने एवं खाने में प्रयोग होता है, पूर्व में खाद्य संरक्षण के तौर पर प्रयोग किया जाता था।

3. यौगिक का नाम: मीथेन

सूत्र: CH4

अनुप्रयोग: प्राकृतिक गैस, ईंधन (मार्स गैस के नाम से भी विख्‍यात है)

4. यौगिक का नाम: एस्प्रिन

सूत्र: C9H8O4

अनुप्रयोग: दर्दनाशक रूप में

5. यौगिक का नाम: पोटेशियम टारट्रेट

सूत्र: K2C4H4O6

अनुप्रयोग: टारटार क्रीम, खाना बनाने में

6. यौगिक का नाम: खाने का सोडा

सूत्र: NaHCO3

अनुप्रयोग: खाना बनाने में

7. यौगिक का नाम: एसिटोमिनोफेन

सूत्र: C8H9NO2

अनुप्रयोग: दर्दनाशक दवा के रूप में

8. यौगिक का नाम: एसिटिक अम्‍ल

सूत्र: C2H4O2

अनुप्रयोग: सिरके में सक्रीय घटक के रूप में

9. यौगिक का नाम: कैफीन

सूत्र: C8H10N4O2

अनुप्रयोग: कॉफी, चाय और कुछ सोडा में उत्‍तेजक पदार्थ के रूप में

10. यौगिक का नाम: प्रोपेन

सूत्र: C3H8

अनुप्रयोग: खाने बनाने के ईंधन के रूप में

11. यौगिक का नाम: सोडियम कार्बोनेट

सूत्र: Na2CO3

अनुप्रयोग: धावन सोडा के रूप में

12. यौगिक का नाम: फास्‍फोरिक अम्‍ल

सूत्र: H3PO4

अनुप्रयोग: सोडा में स्‍वाद लाने के लिये

13. यौगिक का नाम: एसॉरबिक अम्‍ल

सूत्र: C6H8O6

अनुप्रयोग: आवश्‍यक विटामिन (विटामिन C)

14. यौगिक का नाम: अमोनिया

सूत्र: NH3

अनुप्रयोग: जल के साथ घोलकर उर्वरक, घरेलू क्‍लीनर के रूप में

15. यौगिक का नाम: एथिलीन ग्‍लाइकॉल

सूत्र: C2H6O2

अनुप्रयोग: एण्‍टीफ्रीज

16. यौगिक का नाम: कै‍ल्शियम कार्बोनेट

सूत्र: CaCO3

अनुप्रयोग: एण्‍टासिड (अम्‍लरोधी)

17. यौगिक का नाम: एथेनॉल

सूत्र: C2H5OH

अनुप्रयोग: निस्‍संक्रामक, मदिरा पेय के रूप में

18. यौगिक का नाम: कार्बन डाई ऑक्‍साइड

सूत्र: CO2

अनुप्रयोग: सोडा में कार्बोनेटिंग एजेंट के रूप में

19. यौगिक का नाम: हाइड्रोक्‍लोरिक अम्‍ल

सूत्र: HCl

अनुप्रयोग: बैट्रियाँ बनाने में, प्रकाशीय बल्‍ब और पटाखे बनाने में। इसका चीनी के प्रसंस्‍करण से जिलेटिन बनाने में भी उपयोग होता है।

20. यौगिक का नाम: कैल्शियम ऑक्‍साइड

सूत्र: CaO

अनुप्रयोग: भूतकाल की तुलना में वर्तमान आधुनिक घरों में कम उपयोगी है। गर्म होने पर चमकता है, सिनेमाघरों में बिजली के अविष्‍कार से पहले प्रयोग होता था। त्‍वचा के संपर्क में आने अथवा सूंघने पर स्‍वास्‍थ्‍य का खतरा है।

21. यौगिक का नाम: सूक्रोज

सूत्र: C12H22O11

अनुप्रयोग: खाना बनाने में। स्‍वीटनर के तौर पर

22. यौगिक का नाम: पोटैशियम कार्बोनेट

सूत्र: K2CO3

अनुप्रयोग: पोटाश कई खानों से निकाले गये या विनिर्मित उन लवणों के लिये मुख्‍य नाम है जिनमें पोटैशियम जल विलेय रूप में पाया जाता है।

23. यौगिक का नाम: प्‍लास्‍टर ऑफ पेरिस

सूत्र: CaSO4·½H2O

अनुप्रयोग: टूटे अंगों को उनके स्‍थानों पर बने रहने के लिये ठोस परत के तौर पर, मूतियाँ बनाने, और दीवारों और छतों पर आकृतियाँ बनाने में होता है।

24. यौगिक का नाम: जिप्‍सम

सूत्र: CaSO4.2H2O

अनुप्रयोग: सूखी दीवार, प्‍लास्‍टर, संयुक्‍त यौगिक के निर्माण में

25. यौगिक का नाम: सोडियम बाई कार्बोनेट

सूत्र: NaHCO3

अनुप्रयोग: खाना बनाने में जहाँ यह अन्‍य यौगिकों के साथ क्रिया करता है, कार्बन डाई आक्‍साइड निकालकर आटे को फूलने में मदद करता है।

26. यौगिक का नाम: सलफ्यूरिक अम्‍ल

सूत्र: H2SO4

अनुप्रयोग: कार और दूसरे वाहनों में लेड-एसिड बैट्रियों के निर्माण में। पूर्व में विट्रियॉल के नाम से जाना जाता था।

27. यौगिक का नाम: हाइड्रोजन परॉक्‍साइड

सूत्र: H2O2

अनुप्रयोग: कुल्‍ला करने (माउथ वॉश) में (व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता)

 

 

 

 

भौतिकी -विद्युतिकी (Electrostatics) पर महत्वपूर्ण नोट्स

भौतिकी -विद्युतिकी (Electrostatics) पर महत्वपूर्ण नोट्स

बिजली

विद्युत, विद्युत आवेश की गति के साथ व्यव्हार करती है।विद्धुत आवेश एक अदिश मात्रा है जिसकी इकाई “कूलॉम” है।दो वस्तुओं के बीच घर्षण से उत्पादित बिजली को स्थैतिक बिजली या घर्षण बिजली कहा जाता है जिस तरह सूखे बालों के साथ प्लास्टिक की कंघी को रगड़ने पर विद्धुत आवेश उत्पन्न होता है।

कूलॉम नियम: 

दो बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला स्थिर विद्युत बल का मान उन आवेशों के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उन आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।"

विद्युत क्षेत्र:

किसी आवेश के आसपास का क्षेत्र जिसमें इसका प्रभाव दूसरे आवेश द्वारा अनुभव किया जा सकता हो विद्युत क्षेत्र कहा जाता है।विद्युत क्षेत्र तीव्रता (E) किसी भी बिंदु पर, उस बिंदु पर सकारात्मक परीक्षण आवेश पर प्रति यूनिट स्थिरविद्युत बल के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसकी इकाई न्यूटन / कूलॉम है।
E=F/qविद्युत क्षेत्र की तीव्रता बिंदु आवेश से दूरी r के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

विद्युत क्षेत्र रेखाएँ:·

विद्युत क्षेत्र की रेखाएं एक काल्पनिक रेखाएं या उस स्थान के एक क्षेत्र के माध्यम से तैयार वक्र है, इसलिए किसी भी बिंदु पर इसका स्पर्श को उस बिंदु पर सदिश विद्युत क्षेत्र की दिशा में है।दो रेखाएं कभी भी एक दूसरे को नहीं काटती हैं, विद्युत क्षेत्र हमेशा सकारात्मक अंत से शुरू होता है और हमेशा ऋणात्मक आवेश पर समाप्त होता है और यह मध्य में से ना शुरू होता है ना रुकता है। 

 विद्युत विभव:

एक बिजली के क्षेत्र में किसी भी बिंदु पर बिजली क्षमता उस बिंदु पर अनन्त से कम से कम एक परीक्षण आवेश को ले जाने में प्रति यूनिट चार्ज के किये गए काम के बराबर है। इसकी इकाई जूल / कूलॉम है।बिजली के क्षेत्र में दो बिन्दुओं के बीच शक्ति अंतर(विभावांतर) एक धन परिक्षण आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में प्रति यूनिट चार्ज के किये गए कार्य के बराबर है।शक्ति अंतर(विभावांतर) बिजली के क्षेत्र में दो बिदुओं के बीच आवेश के प्रवाह को निश्चित करता है।धनावेश हमेशा उच्च विभावांतर से निम्न विभावांतर की दिशा में चलता है।बंद धातु के ढांचे के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है। 

विद्युत प्रवाह:

विद्धुत प्रवाह समय के सन्दर्भ में आवेश का प्रवाह है।
विद्युत प्रवाह = q/t

एक विद्युत प्रवाह जिसकी दिशा समय के साथ बदलती नहीं है, दिष्ट धारा (डी.सी) कहलाती है।एक विद्युत प्रवाह जिसकी दिशा समय के साथ बदलती है उसे प्रत्यावर्ती धरा (ए. सी.) कहा जाता है।ठोस में धारा प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण
तरल में इलेक्ट्रॉनों की तरह ही आयनों के प्रवाह के कारण में 
और अर्धचालक में इलेक्ट्रॉनों और रन्ध्रों के प्रवाह के कारण होता है। 

प्रतिरोध:·

विद्धुत प्रवाह में किसी भी पदार्थ द्वारा की गयी रूकावट को विद्धुत प्रतिरोध कहा जाता है। इसकी एस. आई. इकाई ओह्म (Ω) है और [ML2T-3A-2] इसके आयाम हैं। 

R=PL/AL= चालक की लम्बाईA= अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफलP= पदार्थ की प्रतिरोधकता प्रवाह्कत्व

प्रतिरोधकता 

एक पदार्थ की प्रतिरोधकता इसके तार की इकाई लंबाई और अनुप्रस्थ काट का इकाई क्षेत्रफल के विद्युत प्रतिरोध के बराबर है। इसकी इकाई ओम-मीटर है।एक पदार्थ की प्रतिरोधकता तापमान और पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।यह चालक के आयामों जैसे, लम्बाई और अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल से स्वतंत्र है।धातुओं की प्रतिरोधकता के तापमान में वृद्धि के साथ बढ़ जाती है।प्रतिरोधकता धातुओं के लिए कम, अर्धचालक के लिए अधिक और मिश्रण के लिए बहुत अधिक होती है। 

चालकता

 यह प्रतिरोधता के व्युत्क्रमानुपाती होती है। इसकी एस.आई. इकाई म्हो है। 

प्रतिरोध का संयोजन 

प्रतिरोध समानांतर में और श्रृंखला में दो तरीकों से जोड़ा जा सकता है।प्रतिरोध R1,R2 और R3 श्रृंखला में जुड़े हैं, तो उनके समकक्ष प्रतिरोध निम्न तरीके से दिया जाता है
R= R1+R2+R3 
श्रृंखला संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से प्रवाहित धारा बराबर होती है।प्रतिरोध R1,R2 और R3 समानांतर में जुड़े हैं, तो उनके समकक्ष प्रतिरोध निम्न तरीके से दिया जाता है1/R =1/R1 +1/R2 +1/R3 

ओम का नियम 

यह कहा गया है कि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएं जैसे तापमान, दबाव आदि नियत रखी जाएँ तो विद्युत प्रवाह (I) सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर (V) उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
V=IR

किरचॉफ के नियम:

किरचॉफ का धारा का नियम: एक विद्धुत परिपथ में एक जंक्शन पर शुद्ध धारा का मान शून्य होगा। यह आवेश के संरक्षण के नियम पर आधारित है। 

किरचॉफ का वोल्टेज का नियम: एक बंद लूप (या मेश) में सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है। यह ऊर्जा के संरक्षण नियम पर आधारित है। 

इलेक्ट्रिक सेल:·

एक बिजली का सेल एक उपकरण है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।इलेक्ट्रिक सेल दो प्रकार के होते हैं:· प्राथमिक सेल: चार्ज नहीं हो सकते हैं। वोल्टेइक, डैनियल और लेक्लंच सेल प्राथमिक सेल हैं।माध्यमिक सेल: बार-बार चार्ज किया जा सकता है। अम्ल और क्षार संचायक माध्यमिक सेल हैं। 

जूल का तापमान का नियम

जूल का ताप का नियम एक क्रिया को बताता है जहाँ विद्धुत धारा की उर्जा, तार के प्रतिरोध के कारण इसमें प्रवाहित धारा ऊष्मा में परिवर्तित होती है। “t” समय में विद्युत प्रवाह के कारण चालक में उत्पादित ऊष्मा:H=VIT=I2RT=V2t/r·बिजली के बल्ब और हीटर विद्धुत धारा द्वारा उत्पादित उष्मीय प्रभाव के आधार पर काम करते हैं। 

विद्युत प्रवाह के रासायनिक प्रभाव:

जब एक विद्युत प्रवाह एक अम्लीय या साधारण मिश्रण के माध्यम से गुजारा जाए तो यह अपने सकारात्मक और नकारात्मक आयनों में घुल जाता है। सकारात्मक आयन नकारात्मक इलेक्ट्रोड (कैथोड) पर इकट्ठा हो जाते हैं और नकारात्मक आयन सकारात्मक इलेक्ट्रोड (एनोड) पर एकत्र हो जाते हैं। इस घटना विद्धुत अपघटन कहा जाता है।

फैराडे के विद्धुत अपघटन के नियम

प्रथम नियम:

विद्युत अपघटन की क्रिया में एक विद्युताग्र (एलेक्ट्रोड्) पर जमा हुए पदार्थ का कुल द्रव्यमान (M), विद्युत-अपघट्य के माध्यम से गुजरने वाले कुल आवेश (q) के समानुपाती होता है।M=Zq, जहाँ Z इलेक्ट्रोड़ पर जमा हुए पदार्थ के समकक्ष विद्धुत रसायन है।

द्वितीय नियम:

यदि समान विद्धुत धारा, समान समय के लिए अलग अलग विद्धुत-अपघट्य के माध्यम से गुजरा जाए तो इलेक्ट्रोड़ पर जमा हुए पदार्थ का द्रव्यमान उसके समकक्ष रसायन के समानुपाती होता है।

विद्युत शक्ति

P = V2/R = I2R
यहां P = इलेक्ट्रिक पावर, V = वोल्टेज, R = प्रतिरोध

इलेक्ट्रिक फ्यूज़

बिजली के उपकरणों को उच्च धारा से सरंक्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं।फ्यूज तार तांबा, टिन और सीसा के मिश्रण से बना होता हैं|फ्यूज तार का पदार्थ निम्न गलनांक बिंदु और अधिक प्रतिरोध वाला होना चाहिए।

शंट

यह बहुत कम प्रतिरोध का तार हैअगर हम गैल्वेनोमीटर, के सामानांतर शंट तार जोड़ देते हैं तो गैल्वनोमीटर अम्मीटर की तरह कार्य करता है।
ध्यान दें-
अगर हम गैल्वेनोमीटर के साथ श्रृंखला में उच्च प्रतिरोध तार जोड़ते हैं, तो गैल्वेनोमीटर, वोल्त्त्मीटर की तरह कार्य करता है।

 

 

 

दवा में प्रयोग होने वाले बहुलकों एवं रसायन

RRB Group D - दवा में प्रयोग होने वाले बहुलकों एवं रसायन

बहुलक:

बहुलक वे बड़े जटिल अणु होते हैं जो कुछ छोटी इकाईयों जिन्‍हें एकलक कहते हैं, की पुर्नावत्ति से बनते हैं।एकलकों बहुलकों के निर्माण की इकाई होते हैं।बहुलक अपनी उत्‍पत्ति के आधार पर प्राकृतिक एवं संश्‍लेषित हो सकते हैं, उदाहरण के लिये सेल्‍यूलोस एक प्राकृतिक बहुंलक है और पॉलीथीन मानव निर्मित अथवा संश्‍लेषित बहुलक है।विशेष एकलकों से बहुलक निर्माण की प्रक्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं।

कुछ महत्‍वपूर्ण बहुलक इस प्रकार हैं:

पॉलीथीन: पॉलीथीन का एकलक एथिलीन है और इसका उपयोग सामान पैक करने की पन्‍नी, कैरी बैग और बोतल के रूप में होता है।

पॉलीप्रोपीन: इसका एकलक प्रोपीलीन है और इसका उपयोग बोतलों के उत्‍पादन व बक्‍सों में होता है।

नायलॉन: नायलॉन रेशे और रस्सियों के निर्माण में उपयोग होता है।

पॉलीविनाइल क्‍लोराइड (पीवीसी): पॉलीविनाइल क्‍लोराइड का एकलक विनायल क्‍लोराइड है और इसका उपयेाग पाइप और इंसुलेटर बनाने में होता है।

टेफ्लॉन: टेफ्लॉन का एकलक टेट्राफ्लूरोएथिलीन है। इसका उपयोग रसोई के नॉनस्टिक बर्तन बनाने में होता है।

बै‍केलाइट: इसका एकलक फिनॉल फॉर्मिलडिहाइड है और यह वैद्युत इंसुलेटर बनाने में उपयोग होता है।

प्राकृतिक रबड़: इसका एकलक आइसोप्रोपीन है।

लेक्‍सन: इसका उपयोग गोली से सुरक्षित सीसे के निर्माण में होता है।

मैलामाइन: इसका उपयोग क्रॉकरी बनाने में उपयोग होता है।

साबुन:

साबुन वसीय अम्‍लों की लम्‍बी श्रृंखला के सोडियम अथवा पोटेशियम लवण होते हैं जो जल के साथ मिलकर सफाई करते हैं।ये त्वचा व कपड़ों से मिट्टी, तेल आदि के सफाई के लिये उपयोग होता है।प्राय: साबुन को जानवरों के वसा या तेल की क्षारीय धातुओं जैसे सोडियम हाइड्रॉक्‍साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्‍साइड के साथ अभिक्रिया करके बनाया जाता है। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण अभिक्रिया भी कहते हैं।साबुनीकरण अभिक्रिया में ग्लिसरॉल उप-उत्‍पाद बनता है और इसका उपयोग कॉसमेटिक्‍स, पेंट्स और दूसरे विस्‍फोटक बनाने में होता है।साबुन की सफाई क्रिया का कारण मिसेल निर्माण और पायसन निर्माण है।

अपमार्जक (डिटरजेंट):

अपमार्जक साबुन के जैसे गुणों वाले होते हैं लेकिन ये कठोर जल में अधिक प्रभावी होते हैं।अपमार्जक सामान्‍यत: कार्बोक्सलिक अम्‍लों की लम्‍बी श्रृंखला के अमोनियम और सल्‍फोनेट लवण होते हैं।इन यौगिकों के आवेशित किनारे जल में कैल्शियम और मैग्‍नीशियम आयन के साथ अविलेय अवक्षेप नहीं बनाते हैं।

विभिन्‍न प्रकार की दवाईयाँ:

दर्दनाशक दवाई (एनालजेसिक्‍स): दर्दनाशक दवाईयों को एनालजेसिक्‍स कहते हैं जैसे एसप्रिन, पैरासिटामॉल और मॉर्फीन आदि। एसप्रिन बनाने में एसिटिल सैलिसाइलिक अम्‍ल का प्रयोग होता है।

मलेरिया रोधी दवाई: इनका उपयोग मलेरिया के उपचार में होता है।

सल्‍फाड्रग: एण्‍टीबायोटिक के विकल्‍प के रूप में इस्‍तेमाल हो सकती हैं। सल्‍फाएनिलएमाइड, सल्‍फाएडिएजाइन, सल्‍फागुनामिडाइन आदि।

एण्‍टॉक्‍साइड: वे पदार्थ जो स्‍कॉच में अम्‍ल की आधिक्‍य मात्रा को हटाकर pH को उचित स्‍तर तक बढ़ा देते हैं। इसका कारण जठर रस मैग्‍नीशियम हाइड्रेट में HCL की अधिकता है।

एप्‍सम लवण: आंत को खाली करने के लिये जलयुक्‍त मैग्‍नीशियम सल्‍फेट का प्रयोग होता है।

क्‍लोरोफार्म: एक सुगंधित, रंगहीन द्रव है और निश्‍चेतक के रूप मे उपयोग होता है।

सैक्रीन: इसका सेवन मधुमेह के रोगी चीनी के स्‍थान पर करते हैं।

डीडीटी: इसे कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

 

 

 

 

 

 

जीव विज्ञान - मानव लिंग निर्धारण:

जीव विज्ञान - मानव लिंग निर्धारण:

लिंग निर्धारण:

1. मानव में लिंग का निर्धारण हम लिंग गुणसूत्रों - X और Y की सहायता से करते हैं।

2. मानव में 46 गुणसूत्र पाये जाते हैं जिनमें 44 गुणसूत्र 22 के जोड़े में होते हैं जिन्‍हें ऑटोसोम कहते हैं और शेष दो को लिंग गुणसूत्र कहते हैं।

3. महिलाओं में शेष दो गुणसूत्र समान पाये जाते हैं और ये XX गुणसूत्र कहलाते हैं।

4. पुरुषों में, शेष दो गुणसूत्र भिन्‍न होते हैं और ये XY गुणसूत्र कहलाते हैं।

5. प्रजनन के दौरान महिला एक प्रकार के युग्‍मक का निर्माण करती है जिसमें 22 ऑटोसोम और एक X गुणसूत्र होता है, जबकि पुरुष दो प्रकार के युग्‍मक का निर्माण करते हैं जिसमें एक 22+X प्रकार के गुणसूत्र और दूसरे 22+Y प्रकार के गुणसूत्र होते हैं।

6. जब ए‍क नर युग्‍मक; X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु पर निषेचित होता है, तो युग्‍मनज (Zygote) महिला रूप में विकसित होता है।

7. जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्‍डाणु पर निषेचित होता है, तो युग्‍मनज पुरुष रूप में विकसित होता है।

गुणसूत्र विसंगति के कारण होने वाले कुछ प्रमुख आनुवांशिक रोग

क्‍लाईनफेल्‍टर सिंड्रोम:

1. जब कभी पुरुष के लिंग गुणसूत्र में अतिरिक्‍त X या Y गुणसूत्र हों, तो यह XY के स्‍थान पर XXY या XYY बनेगा। ऐसी स्थिति में मानव बांझ पैदा होगा।

2. महिलाओं में जब XY के स्‍थान पर अतिरिक्‍त X गुणसूत्र पाया जाता है, तो वह सीमित जनन क्षमता के साथ सामान्‍य विकास प्रदर्शित करती हैं। इस प्रकार के सिंड्रोम में दिमागी कमजोरी परिलक्षित होती है।

टर्नर सिंड्रोम:

1. जब महिला में केवल एक जनन गुणसूत्र X0 होता है, तो अण्‍डाशय दूसरे लैंगिक पहचान की कमी के कारण अपरिपक्‍व रह जाता है।

डाउन सिंड्रोम:

1. जब एक अतिरिक्‍त गुणसूत्र 21 वें ऑटोसोम गुणसूत्र से जुड़ जाता है, तो डाउन सिंड्रोम का विकास होता है।

वर्णान्‍धता:

1. इस रोग के कारण लाल और हरे रंग के बीच अंतर करने की क्षमता खत्‍म हो जाती है।

2. इस बीमारी के लिये कारक जीन जनन गुणसूत्रों पर स्थित होता है।

पटाऊ सिंड्रोम:

1. इस प्रकार के सिंड्रोम का विकास 13 वें गुणसूत्र में अतिरिक्‍त ऑटोसोम के जुड़ जाने से होता है।

2. इसमें होठों पर कटे का निशान होता है और व्‍यक्ति दिमागी रूप से कमजोर होता है।

विभिन्‍न जंतुओं में गुणसूत्रों की संख्‍या:

जन्‍तु

गुणसूत्रों की संख्‍या

कबूतर

80

कुत्‍ता

78

आलू

48

चिम्‍पान्‍जी

48

मानव

46

गेंहू

42

खरगोश

44

बिल्‍ली

38

टमाटर

24

मेंढक

26

घोड़ा

64

मटर

14

 

 

 

 

जीवविज्ञान - महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

जीवविज्ञान - महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

1. मस्तिष्क का वो हिस्सा जो शरीर में मांसल समन्वय से संबंधित है। -सिरेबेलम

2. तंत्रिका जो आवेग को आंखों से मस्तिष्क तक पहुंचाती है - ऑप्टिक तंत्रिका|

3. मानव आंखों की मांसपेशियां जो भिन्न दूरियों पर वस्तुओं को देखने से संबंधित हैं। - रेडियल और सर्कुलर मांसपेशियों / कैलीरी मांसपेशी

4. तंत्रिका तंत्र की इकाई है - न्यूरॉन

5. न्यूरॉन्स जो रिसेप्टर से मस्तिष्क तक आवेगों को लाते हैं। - संवेदक तंत्रिका कोशिका

6. मस्तिष्क का निचला हिस्सा जिसमें केंद्र रिफ्लेक्स होता है - मेरुदण्ड

7. मनुष्य में स्पाइनल नसों की संख्या - 31 जोड़े

8. आंख के बीच का कोट, मुलायम संवहनी और पतली परत - रक्तक (कोईरोइड)

9. रेटिना में मौजूद संवेदनशील कोशिका – रोड्स और कोंस

10. मानव शरीर में सबसे छोटी हड्डी - स्टैप्स

11. तंत्रिका तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा- मस्तिष्क

12. मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाली झिल्ली - मेनिंगेस

13. एक जानवर की इच्छा के हस्तक्षेप के बिना एक क्रिया के लिए दी गयी प्रतिक्रिया - रिफ्लेक्स एक्शन

14. रेटिना के बीच में बिंदु जहां रॉड और कोन पूर्णत: केंद्रित होते हैं -येलो स्पॉट|

15. एक न्यूरोट्रांसमीटर - एसिटाइलॉलाइन

16. आंख की गड़बड़ी जिसमें दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जाता है - मायोपिया

17. आंख का दोष जिसमें पास की वस्तुएं स्पष्ट रूप से नहीं देखी जाती हैं – हाइपर मेट्रोपिया

18. वह बोनी सॉकेट जिसमें आंख अच्छी तरह सुरक्षित है – ऑर्बिट

19. आईरिस के केंद्र में एक छोटा सा खुला भाग - प्यूपिल

20. नेत्र बॉल के आंतरिक संवेदनशील कोट – रेटिना

21. सुनने का कार्य करने वाला अंग- कान

22. लेंस के आकार के परिवर्तन के लिए संरचना - कैलीरी बॉडी / कैलीरी मांसपेशियां

23. तेज रौशनी में पुतली के संकुचन का ढांचा – आइरिस

24. कान की संरचना जो शरीर के संतुलन में मदद करती है – सेमी-सर्कुलर कैनाल

25. लेंस और रेटिना के बीच खाली स्थान में भरा जेली जैसा पदार्थ - वित्रेऔस ह्यूमर

26. कॉर्निया और लेंस के बीच में खाली जगह में भरा द्रव - एक्शियस ह्यूमर

27. संरचना जो नेत्रगोलक की रक्षा करती है और इसके आकार का रखरखाव करती है। - स्क्लेरा

28. संरचना जिसमें संवेदी अंग होता है और जिसे 'कॉर्टी का अंग' कहा जाता है - कोक्लेय

29. कॉर्निया के असमान वक्रता के कारण होने वाला आंख का दोष - दृष्टिवैषम्यता

30. स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के हिस्से – सिम्पपथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र

31. तंत्रिकाएं जो आवेगों को कान से मस्तिष्क तक संचारित करती हैं। - श्रवण तंत्रिका

 

 

 

 

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