Wednesday, 19 June 2019

मालदीव के सर्वोच्च सम्मान पीएम को

मालदीव के सर्वोच्च सम्मान पीएम को

पड़ोसी देश मालदीव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सबसे बड़े सम्मान 'निशान इज्जुद्दीन' से सम्मानित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने मालदीव की पिछली सरकार के चीन के करीब जाने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के पद ग्रहण करने के बाद द्विपक्षीय सहयोग की गति और दिशा में मौलिक बदलाव आया है। दरअसल, मालदीव की पिछली सरकार ने चीन के प्रभाव में आकर भारत विरोधी रुख अपना लिया था। हालांकि जब पीएम मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति गले मिले तो दोनों देशों के रिश्तों में गर्मजोशी साफ दिखी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भी कहा, 'मुझे खुशी है कि मेरे दूसरे कार्यकाल के पहले विदेश दौरे पर आपके सुंदर देश मालदीव में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।' उन्होंने कहा कि हमारे देशों ने कुछ दिन पहले ही ईद का त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया है। मेरी शुभकामनाएं हैं कि इस पर्व का प्रकाश हमारे नागरिकों के जीवन को हमेशा आलोकित करता रहे।पीएम ने कहा, 'आज मुझे मालदीव के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करके आपने मुझे ही नहीं बल्कि पूरे भारत को एक नया गौरव दिया है। निशान इज्जुदीन का सम्मान मेरे लिए हर्ष और गर्व का विषय है। यह मेरा ही नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच मित्रता और घनिष्ठ संबंधों का सम्मान है। मैं इसे बड़ी विनम्रता के साथ सभी भारतीयों की ओर से स्वीकार करता हूं।'उन्होंने कहा, 'हिंद महासागर की लहरों ने हजारों साल से हमें घनिष्ठ संबंधों में बांधा है। 1988 का बाहरी हमला हो या सुनामी जैसी कुदरती आपदा या हाल में पीने के पानी की कमी, भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है और मदद के लिए हमेशा आगे आया है।' उन्होंने कहा कि भारत में संसदीय और मालदीव में राष्ट्रपति और मजलिस के चुनावों के जनादेश से साफ है कि दोनों देशों के लोग स्थिरता और विकास चाहते हैं। ऐसे में लोगों पर केंद्रित और समावेशी विकास तथा सुशासन की हमारी जिम्मेदारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।PM ने कहा कि सोलिह की भारत यात्रा के दौरान घोषित 1.4 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज से मालदीव की तत्कालीन वित्तीय जरूरतें तो पूरी हुई हैं साथ ही सामाजिक प्रभाव के कई प्रॉजेक्ट शुरू किए गए हैं। 1800 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट के अंतर्गत विकास कार्यों के नए रास्ते भी खुले हैं। उन्होंने बताया कि भारत और मालदीव के बीच विकास साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मालदीव के नागरिकों को लाभ पहुंचाने वाली परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।पीएम ने कहा कि आज हमने संयुक्त रूप से मालदीव डिफेंस फोर्सेज के कंपोजिट ट्रेनिंग सेंटर और तटीय निगरानी प्रणाली का उद्घाटन किया है। यह मालदीव की समुद्री सुरक्षा को और बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव के साथ अपने संबंधों को सबसे अधिक महत्व देता है। हम एक दूसरे के साथ गहरी और मजबूत साझेदारी चाहते हैं। एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण मालदीव पूरे क्षेत्र के हित में है। हम दोहराना चाहते हैं कि भारत मालदीव की हरसंभव सहायता करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है। आखिर में उन्होंने कहा, 'भारत-मालदीव दोस्ती अमर रहे।' 

Tuesday, 18 June 2019

नीति आयोग का पुनर्गठन

नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग को लेकर बड़ा फैसला लिया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग के पुनर्गठन को मंजूरी दी। टारगेट अडडी के टेलीग्राम चैनल से जुड़े जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार डा. राजीव कुमार को फिर से उपाध्यक्ष बनाया गया है जबकि गृहमंत्री अमित शाह पदेन सदस्य होंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री आयोग के अध्यक्ष होते हैं। आयोग के पदेन सदस्यों में शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त और कार्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल होंगे। सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्री नीतिन गडकरी, समाजिक न्यय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत, रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्य मंत्री, योजना मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह इसमें विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। वी के सारस्वत, प्रोफेसर रमेश चंद्र और डा. वी के पॉल नीति आयोग में दोबारा पूर्णकालिक सदस्य बनाये गये हैं

क्या है   
दरअसल, नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक 15 जून को निर्धारित है। इसी बैठक में पीएम मोदी की अगुवाई में फिर से सत्ता संभालने के बाद सभी मुख्यमंत्री, राज्यपाल, उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों की पहली बैठक होगी। पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग गर्वनिंग काउंसिल की यह पांचवीं बैठक होगी। वहीं नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के अंतर्गत संचालन परिषद की यह पहली बैठक है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग की संचालन परिषद की 15 जून को बैठक की अध्यक्षता करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक में जल प्रबंधन, कृषि और सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। परिषद नीति आयोग का शीर्ष निकाय है। इसमें सभी मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर, कई केंद्रीय मंत्री तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं।सूत्रों ने कहा, ''नीति आयोग ने बैठक में भाग लेने के लिये सभी मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि संचालन परिषद महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर सकती है। इसमें जल प्रबंधन, कृषि और पिछड़ा जिला विकास कार्यक्रम से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में योजना आयोग की जगह बनाए गए नीति आयोग की पहली बैठक आठ फरवरी 2015 को, दूसरी 15 जुलाई 2015 को, तीसरी 23 अप्रैल 2017 को और चौथी बैठक 17 जून 2018 को हुई थी।

क्या है नीति आयोग

नीति आयोग (राष्‍ट्रीय भारत परिवर्तन संस्‍थान) भारत सरकार द्वारा गठित एक नया संस्‍थान है जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है। 1 जनवरी 2015 को इस नए संस्‍थान के संबंध में जानकारी देने वाला मंत्रिमंडल का प्रस्‍ताव जारी किया गया। यह संस्‍थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करता है और उसे निर्देशात्‍मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करता है। नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। 

Friday, 14 June 2019

भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची, कार्यकाल एवं उनका राजनीतिक सफर


राष्ट्रपति को भारत में प्रथम नागरिक माना जाता है. यह देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है. निर्वाचक मंडल भारत के राष्ट्रपति का चुनाव करता है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना भारत में कोई भी कानून लागू नहीं हो सकता है. इस लेख के माध्यम से अब तक जितने राष्ट्रपति चुने गए है उनकी सूची दी जा रही है और साथ ही उनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का विवरण दिया जा रहा है.

राष्ट्रपति का चुनाव संसद और राज्य के विधानमंडल के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता हैं. निर्वाचक मंडल भारत के राष्ट्रपति का चुनाव करता है और इनके सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक होता है. उनका वोट सिंगल ट्रांसफीरेबल होता है और उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है. राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना भारत में कोई भी कानून लागू नहीं हो सकता है.

भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची, कार्यकाल एवं उनका राजनितिक सफर

1. डॉ राजेन्द्र प्रसाद

Dr. Rajendra Prasad

भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने दो कार्यकालों तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया. वे संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे और भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के प्रमुख नेता. उनको 1962 में भारत रत्न दिया गया था.

2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

Radhakrishnan Sarvapalli

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888को हुआ था और इसी दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनको 1954 में भारत रत्न दिया गया था.

3. डॉ जाकिर हुसैन

Dr Zakir Hussain

डॉ जाकिर हुसैन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बनें और इनकी मृत्यु पद पर रहते ही हुई थी. तात्कालिक उपराष्ट्रपती वी.वी गीरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. यह भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक थे.

मोहम्मद हिदायतुल्लाह को 2002 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. इनको भारत में शिक्षा की क्रांति लाने के लिए भी याद किया जाता है. इनके नेतृत्व में राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया स्थापित किया गया था.

4. वी वी गिरि

V.V Giri

वी. वी गिरी भारत के चौथे राष्ट्रपति थे. इनका पूरा नाम वराहगिरी वेंकटगिरी है. इनके समय में दुसरे चक्र की मतगणना करनी पड़ी थी. यह पहले भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे थे. 1975 में उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

5. फखरुद्दीन अली अहमद

Fakhruddin Ali Ahmed

फखरुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवे राष्ट्रपति थे. दुसरे राष्ट्रपति जिनकी मृत्यु राष्ट्रपति के पद पर ही हो गई थी. बी.डी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था.

6. नीलम संजीव रेड्डी

Nilam Sanjeev Reddy

भारत के छठे राष्ट्रपति बने और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. वे भारत के ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति के उम्मीदवार होते हुए प्रथम बार विफलता प्राप्त हुई और दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वह राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुए थे.

7. ज्ञानी जैल सिंह

Giani Zail Singh

राष्ट्रपति बनने से पहले वे पंजाब के मुख्यमंत्री और केंद्र में भी मंत्री रहे थे. भारतीय डाक घर से संबंधी विधेयक पर उन्होंने पॉकेट वीटो का भी प्रयोग किया था. उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में बहुत सी घटनाये घटी जैसे ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गाँधी की हत्या और 1984में सिख विरोधी दंगा.

8. आर. वेंकटरमण

R Venkataraman

आर. वेंकटरमण 1984 से 87 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे थे. वे एक भारतीय वकील, स्वतंत्रता संग्रामी और महान राजनेता थे. उन्होंने अपने राष्ट्रपति काल में सर्वाधिक प्रधानमंत्री को उनकी पद की शपथ दिलाई थी. 

9. डॉ शंकर दयाल शर्मा

Dr Shanker Dayal Sharma

वे अपने राष्ट्रपति पद से पहले, भारत के आठवें उप राष्ट्रपति थे. 1952 से 56 तक वे भोपाल के मुख्य मंत्री रहे थे और 1956 से 67 तक कैबिनेट मिनिस्टर. इंटरनेशनल बार एसोसिएशन ने उनको लीगल प्रोफेशन में बहु-उपलब्धियों के कारण ‘लिविंग लीजेंड ऑफ़ लॉ अवार्ड ऑफ़ रिकग्निशन’ दिया था.

10. के. आर. नारायणन

K R Narayanan

के. आर. नारायणन भारत के प्रथम दलित राष्ट्रपति तथा प्रथम मलयाली व्यक्ति थे जिन्हें देश का सर्वोच्च पद प्राप्त हुआ था. वे लोकसभा चुनाव मतदान करने वाले तथा राज्य की विधानसभा को सम्बोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति थे.

11. डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

Abdul Kalam

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के मिसाईल मेन नाम से भी जाने जाते हैं. वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने राष्ट्रपति पद को संभाला और भारत के पहले राष्ट्रपति जो सर्वाधिक मतों से जीते थे. उनके निर्देशन में रोहिणी-1 उपग्रह, अग्नि और पृथ्वी मिसाइलो का सफल प्रक्षेपण किया गया था. यहा तक कि 1974 एवं 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था. 1997 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

12. श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल

Pratibha Singh Patil

वह राष्ट्रपति बनने से पहले राजस्थान की राज्यपाल रहीं थी. 1962 से 85 तक वह पांच बार महाराष्ट्र की विधानसभा की सदस्य रही और 1991 में लोकसभा के लिए अमरावती से चुनी गई थी. इतना ही नहीं वह सुखोई विमान उड़ाने वाली पहली महिला राष्ट्रपति भी हैं.

13. प्रणब मुखर्जी

Pranab Mukherjee

प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले केंद्र सरकार में वित्त मंत्री के पद पर थे. उनको 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार एवं 2008 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा असैनिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया था.

14. राम नाथ कोविंद

Ram Nath Kovind

राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर, 1945 को उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. वह एक वकील और राजनेता हैं. वे भारत के 14वें और वर्तमान राष्ट्रपति हैं. राम नाथ कोविंद 25 जुलाई, 2017 को राष्ट्रपति बने और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे. राष्ट्रपति बनने से पहले वे बिहार के पूर्व गवर्नर थे. राजनीतिक समस्याओं के प्रति उनके दृष्टिकोण ने उन्हें राजनीतिक स्पेक्ट्रम में प्रशंसा दिलाई. एक राज्यपाल के रूप में, उनकी उपलब्धियां विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की जांच के लिए न्यायिक आयोग का निर्माण करना था.

Tuesday, 11 June 2019

POCSO एक्ट क्या है और कैसे बच्चों को यौन शोषण से संरक्षण प्रदान करता है?

पोक्सो, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) का संक्षिप्त नाम है.पोक्सो एक्ट-2012 के अंतर्गत बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो एक्ट-2012 बनाया था.

Himanshu Yadav

समाज में बढती कुंठा और बच्चियों के ऊपर बढ़ते यौन अपराधों से दुखी होकर प्रसिद्द कवि प्रसून जोशी ने एक कविता लिखी थी"


"जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,


जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी,


बाहर आने से घबराने लगे,


समझो कुछ ग़लत है।


जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें,


जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे,


समझो कुछ ग़लत है 


जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं,


हथियारों की नोंक पर थमना हो,


जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,


समझो कुछ ग़लत है


जब किलकारियाँ सहम जायें


जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ


समझो कुछ ग़लत है."


ये कविता नन्ही बच्चियों को समर्पित है. इसी दिशा में सरकार ने बच्चियों को यौन हिंसा से बचाने के लिए "पोक्सो क़ानून" बनाया है.

पोक्सो क़ानून क्या है?

POCSO एक्ट का पूरा नाम "The Protection Of Children From Sexual Offences Act" या प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है. पोक्सो एक्ट-2012; को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

देश में बच्चियों के साथ बढती दरिंदगी को रोकने के लिए 'पाक्सो ऐक्ट-2012' में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी. सरकार की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी अप्रैल 2018 में मिल गई है. अब सरकार इसके लिए अध्यादेश लाएगी.

पोक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है, इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है. इस एक्ट को बनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि बच्चे बहुत ही मासूम होते हैं और आसानी से लोगों के बहकाबे में आ जाते हैं. कई बार तो बच्चे डर के कारण उनके साथ हुए शोषण को माता पिता को बताते भी नही है.

इस एक्ट के प्रावधान इस प्रकार हैं: 

यौन शोषण की परिभाषा- इसमें यौन उत्पीड़न और अश्लील साहित्य, सेक्सुअल और गैर सेक्सुअल हमला (penetrative and non-penetrative assault) को शामिल किया गया है.

1. इसने भारतीय दंड संहिता, 1860 के अनुसार सहमती से सेक्स करने की उम्र को 16 वर्ष से बढाकर 18 वर्ष कर दिया है. इसका मतलब है कि-

(a) यदि कोई व्यक्ति (एक बच्चा सहित) किसी बच्चे के साथ उसकी सहमती या बिना सहमती के यौन कृत्य करता है तो उसको पोक्सो एक्ट के अनुसार सजा मिलनी ही है.

(b) यदि कोई पति या पत्नि 18 साल से कम उम्र के जीवनसाथी के साथ यौन कृत्य कराता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है और उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है.

2. यह अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है.

3. पोक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में की कोशिश करनी चाहिए.

4. यदि अभियुक्त एक किशोर है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम, 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) में मुकदमा चलाया जाएगा.

5.यदि पीड़ित बच्चा विकलांग है या मानसिक रूप से या शारीरिक रूप से बीमार है, तो विशेष अदालत को उसकी गवाही को रिकॉर्ड करने या किसी अन्य उद्येश्य के लिए अनुवादक, दुभाषिया या विशेष शिक्षक की सहायता लेनी चाहिए.

6. यदि अपराधी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो कि बाल अपराध कानून के अलावा अन्य कानून में भी अपराध है तो अपराधी को सजा उस कानून में तहत होगी जो कि सबसे सख्त हो.

7. इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का दायित्व अभियुक्त (accused) पर होता है. इसमें झूठा आरोप लगाने, झूठी जानकारी देने तथा किसी की छवि को ख़राब करने के लिए सजा का प्रावधान भी है.

8. जो लोग यौन प्रयोजनों के लिए बच्चों का व्यापार (child trafficking) करते हैं उनके लिए भी सख्त सजा का प्रावधान है.

9. सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय बाल संरक्षण मानकों के अनुरूप, इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति यह जनता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ है तो उसके इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए, यदि वो ऐसा नही करता है तो उसे छह महीने की कारावास और आर्थिक दंड लगाया जा सकता है.

10. यह अधिनियम बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपता है. इसमें पुलिस को बच्चे की देखभाल और संरक्षण के लिए तत्काल व्यवस्था बनाने की ज़िम्मेदारी दी जाती है. जैसे बच्चे के लिए आपातकालीन चिकित्सा उपचार प्राप्त करना और बच्चे को आश्रय गृह में रखना इत्यादि.

11. पुलिस की यह जिम्मेदारी बनती है कि मामले को 24 घंटे के अन्दर बाल कल्याण समिति (CWC) की निगरानी में लाये ताकि CWC बच्चे की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठा सके.

12. इस अधिनियम में बच्चे की मेडिकल जांच के लिए प्रावधान भी किए गए हैं, जो कि इस तरह की हो ताकि बच्चे के लिए कम से कम पीड़ादायक हो. मेडिकल जांच बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जाना चाहिए, जिस पर बच्चे का विश्वास हो, और बच्ची की मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए.

13. इस अधिनियम में इस बात का ध्यान रखा गया है कि न्यायिक व्यवस्था के द्वारा फिर से बच्चे के ऊपर ज़ुल्म न किये जाएँ. इस एक्ट में केस की सुनवाई एक स्पेशल अदालत द्वारा बंद कमरे में कैमरे के सामने दोस्ताना माहौल में किया जाने का प्रावधान है. यह दौरान बच्चे की पहचान गुप्त रखने की कोशिश की जानी चाहिए. 

14. विशेष न्यायालय, उस बच्चे को दिए जाने वाली मुआवजे की राशि का निर्धारण कर सकता है, जिससे बच्चे के चिकित्सा उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था की जा सके.

15. अधिनियम में यह कहा गया है कि बच्चे के यौन शोषण का मामला घटना घटने की तारीख से एक वर्ष के भीतर निपटाया जाना चाहिए.

सरकार द्वारा बच्चों के यौन शोषण के लिए पोक्सो एक्ट में किया गए प्रावधान 2012 में किये गए थे जो कि बहुत देर से किये गए हैं. पोक्सो के अंतर्गत बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के 6118 मामले 2012 से 2016 के बीच दर्ज किये गए हैं. इसमें 85% मामले अभी भी कोर्ट में लंबित पड़े हुए है जबकि अपराधी को सजा मिलने की दर सिर्फ 2% है जो कि किसी भी तरह से ठीक नही ठहराया जा सकता है.

सरकार को इस एक्ट में और जरूरी सुधार करने होंगे ताकि पीड़ित को जल्दी से जल्दी न्याय मिल सके. ज्यादातर मामलों में देखने में आया है कि बच्चों का शोषण जान-पहचान के लोग ज्यादा करते हैं और घर के लोग उन पर शक भी नही करते हैं.इसलिए माता- पिता का यह दायित्व बनता है कि जिन लोगों के साथ बच्चे खेल रहे हैं उन पर पूरी नजर रखें

Friday, 7 June 2019

Meanings of Words/Phrases from THE HINDU

Meanings of Words/Phrases from THE HINDU

1.healing touch(noun:दर्द हरने वाला स्पर्श)- an energy therapy in which touch is used as part of the healing process, may increase one’s capability for recovery and healing.

2.demonising(verb)- to show someone as evil/wicked/bad.

3.deepen(verb:गंभीर हो जाना)- increase, intensify, escalate.

4.fault line(noun)- a divisive issue; a difference of opinion.

5.perpetrated(verb:दोष करना)- commit, carry out, perform/execute (a harmful/illegal action).

6.fanatical(adj.:कट्टर)- extremist, radical, militant.

7.hardliner(noun:समझौता का विरोधी)- a group/a political party with people who support a strict ideas and they are extreme & uncompromising.

8.allegedly(adverb:कथित तौर पर)- supposedly, unprovenly,reportedly.

9.backing(verb:समर्थन)- support, help, assist/aid.

10.stung(verb:डँसना)- hurt, upset, distress.

11.implicating(verb:अपराध में फंसना)- involve, connect, embroil.

12.solidarity(noun:एकजुटता)- unity, harmony, unanimity.

13.upheaval(noun:उथल-पुथल)- disruption, disorder, turmoil.

14.ethnicity(noun:जातीयता)- a category of people who identify with each other based on common language, ancestral, social, cultural, or national experiences.

15.backlash(noun:प्रतिक्रिया)- a strong negative reaction; adverse response, counteraction.

16.intimidation(noun:धमकी)- frightening, threatening, oppression.

17.radical(adj.:उग्र)- fanatical, extremist, extreme.

18.preacher(noun:उपदेशक)- priest, clergyman, evangelical.

19.dismantled(verb:ध्वस्त)- demolish, knock down, bulldoze.

20.propaganda(noun:प्रचार प्रसार)- promotion, advertisement, publicity/advocacy.

21.unravelled(verb:सुलझाया)- resolve, solve, uncover/unfold.

22.intriguing(adj.:लुभावना)- interesting, fascinating, absorbing/compelling.

23.blameworthy(adj.:कसूरवार)- culpable, guilty, wrong.

24.majoritarian(adj.:बहुसंख्यकों)- relating to a philosophy that states that a majority (sometimes categorized by religion, language, social class, or some other identifying factor) of the population is entitled to a certain degree of primacy (priority) in society, and has the right to make decisions that affect the society.

25.impulse(noun:आवेग)- (strong & sudden) urge/instinct, compulsion, need.

26.catastrophic(adj.विपत्तिपूर्ण)- destructive, ruinous, disastrous.

27.perpetrator(noun:अपराधी)- a person who does immoral, harmful and illegal activities; criminal, culprit, evil-doer.

28.hatred(noun:घृणा)- hate, dislike, hostility.

29.disproportionate(adj.:विषम)- inordinate, unreasonable, excessive.

30.called out(phrasal verb)- draw attention to someone’s bad actions.

31.decried(verb:निंदा करना)- denounce, condemn, criticize.

32.mogul(noun)- magnate, tycoon, baron (an important/powerful (business) person).

33.swept through(verb)- engulf, overwhelm, flood.

34.surreptitiously(adverb:चुपके)- secretively/secretly, indirectly, furtively.

35.rendering(verb:प्रतिपादन)- make, cause to be, represent.

36.infertile(noun:बंजर)- childless, sterile; not able to produce children.

37.inter-(prefix)- between, among.

38.ethnic(noun:संजाति विषयक)- relating to a population subgroup (cultural, national, traditional/ folk) with a common national or cultural tradition.

39.ushering in(verb:कायम)- start/begin, initiate, pave the way for.

40.egalitarian(adj.:समानाधिकारवादी)- common, equal, fair.

41.ill-served(adj.)- adversely affected, damaged, impaired.

Monday, 3 June 2019

अमेरिका ने भारत से GSP दर्जा छीना

अमेरिका ने भारत से GSP दर्जा छीना

अमेरिका ने भारत को मिले सामान्य तरजीही प्रणाली (GSP) दर्जे को खत्म कर दिया है, जो पांच जून से लागू हो जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने वाइट हाउस में इसकी घोषणा की है। ट्रंप ने चार मार्च को इस बात की घोषणा की थी कि वह जीएसपी कार्यक्रम से भारत को बाहर करने वाले हैं। इसके बाद 60 दिनों की नोटिस अवधि तीन मई को समाप्त हो गई। अब इस संबंध में किसी भी समय औपचारिक अधिसूचना जारी की जा सकती है। इस बीच भारत ने पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि इस मुद्दे के समाधान के लिए अमेरिका के सामने प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उन्हें स्वीकार नहीं हुआ।

क्या है GSP दर्जा? 

GSP यानी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज। अमेरिका द्वारा अन्य देशों को व्यापार में दी जाने वाली तरजीह की सबसे पुरानी और बड़ी प्रणाली है। इसकी शुरुआत 1976 में विकासशील में आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए की थी। दर्जा प्राप्त देशों को हजारों सामान बिना किसी शुल्क के अमेरिका को निर्यात करने की छूट मिलती है। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा। वर्ष 2017 में भारत ने इसके तहत अमेरिका को 5.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था। अभी तक लगभग 129 देशों को करीब 4,800 गुड्स के लिए GSP के तहत फायदा मिला है।

क्या है इसका मकसद?

यूएस ट्रेड रेप्रिजेंटटिव ऑफिस के मुताबिक GSP का उद्देश्य विकासशील देशों को अपने निर्यात को बढ़ाने में मदद करना है ताकि उनकी अर्थव्यवस्था बढ़ सके और गरीबी घटाने में मदद मिल सके।ट्रंप ने शुक्रवार को कहा, 'मैंने यह तय किया है कि भारत ने अमेरिका को अपने बाजार तक समान और तर्कपूर्ण पहुंच देने का आश्वासन नहीं दिया है। इसलिए 5 जून, 2019 से भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा समाप्त करना बिल्कुल सही है। ट्रंप ने इस संबंध में अमेरिका के तमाम शीर्ष सांसदों की अपील ठुकराते हुए यह फैसला लिया है। सांसदों का कहना था कि इस कदम से अमेरिकी उद्योगपतियों को प्रतिवर्ष 30 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

भारत पर क्या होगा असर? 

GSP के तहत केमिकल्स और इंजिनियरिंग जैसे सेक्टरों के करीब 1900 भारतीय प्रॉडक्ट्स को अमेरिकी बाजार में ड्यूटी फ्री पहुंच हासिल है। अमेरिका द्वारा GSP के तहत लाभ बंद किया जाना भारत के लिए निश्चित तौर पर एक झटका है। हालांकि, वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को कोई खास नुकसान होगा। वधावन ने कहा कि GSP के तहत तरजीही दर्जा वापस लेने का कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि GSP के फायदे बहुत ज्यादा नहीं थे। भारत GSP के तहत 5.6 अरब डॉलर (करीब 39,645 करोड़ रुपये) मूल्य के सामानों का अमेरिका को निर्यात करता है। इससे भारत को सालाना 19 करोड़ डॉलर (करीब 1,345 करोड़ रुपये) का ड्यूटी बेनिफिट मिलता है। भारत मुख्य तौर पर कच्चे माल और ऑर्गैनिक केमिकल्स जैसे सामानों का अमेरिका को निर्यात करता है।भारत ने 2017-18 में अमेरिका को 48 अरब डॉलर (3,39,811 करोड़ रुपये) मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया था। इनमें से सिर्फ 5.6 अरब डॉलर यानी करीब 39,645 करोड़ रुपये का निर्यात GSP रूट के जरिए हुआ। इन आंकड़ों से भी जाहिर होता है कि भारत को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होगा। दरअसल, डॉनल्ड ट्रंप व्यापार घाटे को कम करने के लिए काफी आक्रामक हैं। चीन के साथ तो उन्होंने ट्रेड वॉर ही छेड़ दी है। भारत अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस वाला 11वां सबसे बड़ा देश है यानी भारत का अमेरिका को निर्यात वहां से आयात से ज्यादा है। 2017-18 में भारत का अमेरिका के प्रति सालाना ट्रेड सरप्लस 21 अरब डॉलर (करीब 1,48,667 करोड़ रुपये) था। 

अनुच्छेद 324 क्या होता है और बंगाल में क्यों प्रयोग किया गया है?

अनुच्छेद 324 क्या होता है और बंगाल में क्यों प्रयोग किया गया है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग का प्रावधान किया गया है. चुनाव आयोग देश में संसद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्य विधानमंडल के लिए चुनाव कराने के नियमों और दिशा-निर्देशों को जारी करता है. आयोग पूरे देश में चुनाव आचार संहिता लगाकर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराता है. आइये इस लेख में जानते हैं कि अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग को किस प्रकार की शक्तियां दी गयीं हैं.

आर्थिक खुफिया इकाई (Economic Intelligence Unit) ने हाल ही में एक डेमोक्रेसी इंडेक्स जारी किया है जिसमें 167 देशों को शामिल किया गया है. इस इंडेक्स में भारत को 41वें स्थान पर रखा गया है और भारत का स्कोर 7.23/10 है. इस इंडेक्स में 60 पैरामीटर्स को शामिल किया गया है. इस डेमोक्रेसी इंडेक्स में बताया गया है कि विश्व में केवल 4.5% लोग "फुल डेमोक्रेसी" में रहते हैं. अर्थात एक पूर्ण रूप से परिपक्व लोकतंत्र जहाँ पर सभी को समान रूप से लोकतान्त्रिक अधिकार प्राप्त हैं.

वर्तमान में भारत में 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहे हैं. चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और शांतिपूर्वक चुनाव कराने के लिए मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट (MCC) की घोषणा भी की है लेकिन कई नेता इस MCC को तोड़ रहे हैं. लेकिन चुनाव में हिंसा और अराजकता कम करने करने के लिए चुनाव आयोग के पास कुछ शक्तियां भी हैं. चुनाव आयोग को ये शक्तियां भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 से मिली हैं. इसी अनुच्छेद 324 का उपयोग करते हुए चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में एक दिन पहले ही चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी है.

अनुच्छेद 324 क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है जो भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव सम्पन्न कराने वाली शीर्ष संस्था है ताकि चुनाव प्रक्रिया में जनता की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके.

अनुच्छेद 324 में संसद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद और राज्य विधानमंडल के लिए चुनाव कराने के नियमों, निर्देशों और चुनाव आयोग के अधिकारों के बारे में बताया गया है.

पश्चिम बंगाल में एक चुनाव चुनाव रोड शो के दौरान हिंसा हुई थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 324 का इस्तेमाल करते हुए सभी चुनाव प्रचारों पर रोक लगा दी है. आयोग ने कहा कि " No person shall convene, hold, attend, join or address any public meeting or procession in connection with the election."

"कोई भी व्यक्ति चुनाव के संबंध में किसी भी जनसभा या जुलूस को आयोजित नही करेगा, उसमें उपस्थित या सम्मिलित नही होगा और संबोधित नहीं करेगा."

ज्ञातव्य है कि भारत में इस तरह से अनुच्छेद 324 का उपयोग करके चुनाव प्रचार पर पहली बार रोक लगायी गयी है.

चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 324 का प्रयोग बंगाल में इसलिए किया ताकि वहां पर रजनीतिक हिंसा और ज्यादा ना बढ़े और 19 मई को होने वाले चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्वक संपन्न कराये जा सकें.

अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को निम्न अधिकार देता है

1. चुनाव आयोग इसी अनुच्छेद 324 के तहत किसी भी अधिकारी को निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उसके पद से हटा सकता है. आयोग ने पश्चिम बंगाल में प्रिंसिपल सेक्रेटरी और CID सीआईडी के एडिशनल डायरेक्टर को पद से हटा दिया है.

2. अनुच्छेद 324 के अंतर्गत ही चुनाव आयोग किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी या राज्य स्तरीय दलों का दर्जा देता है.

3. यह राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है और उन्हें चुनाव चिन्ह प्रदान करता है.

4. आयोग निर्वाचक नामावलियों को तैयार करता है और समय-समय पर उनमें सुधार करता है. सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत करता है.

5. यह चुनाव हेतु प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार करता है उनकी जाँच करता है.

6. चुनावों कार्यक्रम की तारीखों की घोषणा करता है और फिर चुनाव भी करवाता है.

7. राजनीतिक दलों को दूरदर्शन व रेडियो पर अपनी नीतियों व कार्यक्रमों के प्रचार के लिए समय सीमा का निर्धारण करता है.

इस प्रकार स्पष्ट है कि भारतीय संविधान ने देश में लोकतान्त्रिक ढांचे को मजबूत करने के लिए अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था का गठन किया है. उम्मीद है कि आगे आने वाले समय में चुनाव आयोग और भी सख्ती से निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रयास करता रहेगा.

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