जानें विकास बैंकों के बारे में भाग-I
प्रिय पाठक,
इस पोस्ट में हम शेष चार विकास बैंकों के बारे में बता रहे हैं| आशा करते हैं आपको यह पोस्ट लाभ पहुंचाएगी|
1.एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank): एशिया के देशों के आर्थिक विकास हेतु दिनांक 22/8/1966 को एशियाई विकास बैंक की स्थापना एक क्षेत्रीय विकास बैंक के रूप में की गई थी| इस बैंक के 67 सदस्य देश हैं, जीनें से 47 सदस्य देश एशिया एवं प्रशांत महासागर क्षेत्र से एंव 19 सदस्य देश इससे बाहर के हैं| इस बैंक का ढांचा सामान्य रूप से विश्व बैंक के समरूप ही है एवं उसी प्रकार से वोटिंग अधिकार अपने सदस्य देशों को प्रदान करता है जिस अनुपात में उन देशों द्वारा इस बैंक में पूँजी लगाई है| वर्तमान में अमेरिका एवं जापान इस बैंक में अधिकतम पूँजी निवेश के साथ प्रथम क्रमांक पर हैं एवं दूसरे एवं तीसरे क्रमांक पर क्रमशः चीन एवं भारत हैं|
2.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund): ब्रेटन वुड सम्मलेन के अंतर्गत विश्व बैंक की सहायक संस्था के रूप में यह दिनांक 27 दिसंबर,1945 को अस्तित्व में आया था| यह अपने सदस्य देशों को उनके विदेश व्यापर में वृद्धि में संतुलन एवं उनकी मुद्रा की बाहरी कीमत को बनाए रखने में आ रही कमियों की पूर्ति हेतु वित्त उपलब्ध कराता है| IMF अपने आपको "188 देशों के संगठन के रूप में" परिभाषित करता है| इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक सहयोग के पोषण के लिए, वित्तीय स्थायित्व को सुरक्षित करने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय व्यापर को सहज बनाने के लिए, उच्च रोजगार वृद्धि के लिए एवं उच्च आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए और गरीबी घटाने के लिए निर्धारित है|
3.न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank): ब्रिक्स संगठन द्वारा प्रवर्तित एक नया बैंक सन 2016 में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है| इसका निर्णय ब्रिक्स देशों के 15 जुलाई, 2014 को फोर्टलेज (ब्राजील) में हुए छठे सम्मलेन में किया गया| इस बैंक की पूँजी 100 अरब अमेरिकन डॉलर के आकस्मिक कोष का भी निर्माण किया जायेगा जिसमें चीन 41%, दक्षिणी अफ्रीका 5% एवं ब्राजील, रूस और भारत प्रत्येक 18% हिस्सा निवेश करेंगे| इस बैंक का प्रधान कार्यालय शंघाई (चीन) में होगा| इसका अफ्रीकन क्षेत्रीय कार्यालय जोहान्सबर्ग में स्थापित किया जायेगा| इस बैंक के प्रथम अध्यक्ष भारत से एवं प्रथम प्रबंध संचालक रूस से होंगे और यह 6 वर्ष कार्य करेंगे| इसके बाद इन पदों को वोटिंग के आधार पर 5 वर्ष के लिए चुना जायेगा| इस बैंक की स्थापना से पश्चिम आधारित बैंकों एवं डॉलर का प्रभुत्व कम करना संभव हो सकेगा|
4.गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC's): अगर एक कंपनी की वित्तीय आस्तियां कुल आस्तियों के 50 प्रतिशत से अधिक हो और विट्टी अस्तियों से प्राप्त होने बाली आय, सकल आय के 50 प्रतिशत से अधिक हो, इस दशा में इसे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी कहते हैं| आय एवं अस्तियों का मानदंड संचयी है| अतः आधार इयं के रूप में दोनों ही मानक साथ-साथ ही देखें जान चाहिए| ऐसे कंपनीज रिजर्व बैंक के नियंत्रण में आ जाती है|
भारत रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के खंड तीन (ब) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है| गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां वर्तमान में 12 माह से अधिकतम 60 माह तक के समय के लिए जनता से जमाएं स्वीकार कर सकती है एवं उनका नवीनीकरण कर सकती है| यह मांग पर भुगतान योग्य जमाएं (प्रमुख रूप से बचत एवं चालु खाते) स्वीकार नहीं कर सकत है|
गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई उच्चतम सीमा से अधिक ब्याज दरों का प्रस्ताव नहीं दे सकती है| वर्तमान में यह सीमा 12.5 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित की गई है| ब्याज को मासिक आधार से कम पर चक्रवृद्धि करके भूटान नहीं किया जा सकता है|
इन कंपनियों के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम द्वारा जमाओं के बीमे की बैंकों जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं है|
No comments:
Post a Comment