RRB NTPC , GROUP D: संगम काल
प्राचीन इतिहास - संगम काल
मेगालिथिक पृष्ठभूमि
मेगालिथ कब्रें पत्थरों के बड़े बड़े टुकड़ों से घिरी हुई थी। उनमे शव के साथ दफ़न बर्तन और लोहे की वस्तुओं भी प्राप्त हुई। वे पूर्वी आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु समेत प्रायद्वीप के ऊपरी क्षेत्रों में पाए जाती हैं।
राज्यों का गठन और सभ्यता का उदय
मेगालिथिक लोगों ने डेल्टा के उपजाऊ क्षेत्रों की भूमि को पुनः प्राप्त करना शुरू कर दिया। दक्षिण को जाने वाले मार्ग को दक्षिणापथ कहा जाता है जो कि आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया था।
मेगस्थनीज, पंड्या के बारे में जानता था जबकि अशोक के शिलालेखों में चोल, पंड्या, केरलपुत्र और सत्यपुत्र का उल्लेख मिलता है।
रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के प्रचार-प्रसार के फलस्वरुप तीन राज्यों अर्थात् चेरस, चोल और पंड्या का गठन हुआ।
संगम काल
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी तक के प्राचीन तमिलनाडु के काल को संगम काल कहते है। यह नाम मदुरई शहर में केंद्रित कवियों और विद्वानों की प्रसिद्ध संगम अकादमी के नाम पर है।
तीन प्रारभिक साम्राज्य
राज्य | राजधानी | पोर्ट | चिह्न | प्रसिद्ध शासक |
चेरा | वंजी- आधुनिक केरल | मुजुरी एवं टोंडी | धनुष | सेनगुत्वन |
चोल | उरैयुर तथा पुहर | कावेरीपट्टिनम /पुहर इनके पास पर्याप्त नौ सेना थी। | बाघ | करिकालन |
पंड्या | मदुरई | कोरकई | मछली | नेदुनजहेरियन |
चेरा
- वे पाल्मीरा के फूलों को माला के रूप में पहनते थे।
- पुगलुर शिलालेखों में चेरा की तीन पीढ़ियों का उल्लेख है।
- सेनगुत्वन ने आदर्श पत्नी के रूप में पट्टानी पंथ या पूजा की शुरुआत की।
चोल
- करिकलन ने कावेरी नदी पर कालनई (चेक बांध) का निर्माण किया।
पंड्या
- मंगुड़ी मारुथनार द्वारा लिखित मदुराइकनजी में पंड्या की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का वर्णन किया गया है।
- कलभरों द्वारा आक्रमण इनके पतन का कारण बना।
इन साम्राज्यों का रोमन साम्राज्य के साथ लाभदायक व्यापार था। ये काली मिर्च, आइवरी, मोती, कीमती पत्थरों, मस्लिन, सिल्क, कॉटन आदि का उत्पादन करते थे जो कि इनके क्षेत्र में समृद्धि लाएं।
समाजिक वर्गों का उदय
- एनाडी – सेना के कप्तान
- वेल्लालस – धनी कृषक
- अरासर – शासक वर्ग
- कदाईसियर – निम्न वर्ग
- पेरियर – कृषि श्रमिक
तोल्काप्पियम में वर्णित चार जातियां
- अरासर – शासक वर्ग
- अंथनार – ब्राह्मण
- वणिगर – व्यवसाय में सम्मिलित व्यक्ति
- वेल्लालर – श्रमिक
भूमि का पांच सतहों में विभाजन
भू-भाग़ | भू-भाग़ के प्रकार | मुख्य देवता | मुख्य पेशा |
कुरुन्जी | पहाड़ी इलाके | मुरुगन | शिकार व शहद संग्रहण |
मुल्लई | देहाती | मायोन | पशु प्रजनन और दुग्ध उत्पाद |
मरुधाम | कृषि | इंदिरा | कृषि |
नीधल | तटीय | वरुणन | मछली पकड़ना और नमक तैयार करना |
पलई | रेगिस्तान | कोरावाई | लूट-पाट |
संगम प्रशासन
- अवई – शाही राज-दरबार
- कोडीमरम – प्रत्येक शासक का संरक्षक वृक्ष
- पंचमहासभा
- अमईचर – मंत्री
- सेनापति - सेना प्रमुख
- ओटरार – गुप्त-चर
- थुदार – राज-दूत
- पुरोहित - पुजारी
- राज्यों का विभाजन
1. मंडलम / नाडू – प्रांत
2. उर – शहर
3. पेरुर - बड़े गांव
4. सितरुर- छोटे गांव
संगम
संगम | स्थान | अध्यक्ष | प्रासंगिक ग्रंथ |
प्रथम | मदुरई | अगस्थियर | नील |
द्वितीय | कपादपुरम | अगस्थियर और तोलकापीयार | तोलकापीयम |
तृतीय | मदुरई | संस्थापक – मुदाथिरुमरन नक्कीरार | इट्टुटोगई, पट्टू पट्टू (10 इडल्स) |
तमिल भाषा और संगम साहित्य
कथा - एट्टुगोई और पट्टूपट्टू को मेल्कांकक्कु कहा जाता है जिसमे 18 मुख्य कृति शामिल है। वे आगम (प्रेम) और पुरम (वीरता) में विभाजित हैं।
शिक्षण – पैथिनेंकिल्कानाक्कु - 18 छोटे कृतियां शामिल है। वे नीतिशास्र और आचार विचार से सम्बंधित है।
थिरुक्कुरल – यह तिरुवल्लुवर द्वारा लिखा गया एक आलेख है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित है।
टोलकापीयर द्वारा रचित टोलकापीयम एक आरंभिक तमिल साहित्य है। यह तमिल व्याकरण पर प्रकाश डालने के साथ-साथ संगम काल की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है
महाकाव्य
1) एलंगो आदिगल द्वारा सिलापाधिकरम
2) सिथलाई सतनर द्वारा मैणीमेगालाई
3) वलयापथि
4) कुण्डालगेसी
5) सिवग सिंथामनी
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