राज्यव्यवस्था - भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं
लंबा संविधान
भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं। एक संविधान सभा जिसे 1946 में इसी उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया था उसके द्वारा इसे तैयार किया गया था। भारत का संविधान दुनिया में सबसे लम्बा संविधान है क्योंकि किसी भी अन्य संविधान में इतने अधिक अनुच्छेद शामिल नहीं हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 7 अनुच्छेद, चीन के में 138, जापान के में 103 और कनाडा के संविधान में 107 अनुच्छेद हैं।
भारत एक सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणराज्य है।
भारतीय संविधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत एक सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य है।
सम्प्रुभता
सम्प्रुभता शब्द का अर्थ है सर्वोच्च या स्वतंत्र. भारत किसी भी विदेशी और आंतरिक शक्ति के नियंत्रण से पूर्णतः मुक्त सम्प्रुभतासम्पन्न राष्ट्र है। यह सीधे लोगों द्वारा चुनी गई एक मुक्त सरकार द्वारा शासित है तथा यही सरकार कानून बनाकर लोगों पर शासन करती है।
समाजवादी
समाजवादी अर्थात यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है। सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने की कोशिश करेगी। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भारत सभी रूपों में शोषण के खिलाफ है और अपने सभी नागरिकों के लिए आर्थिक न्याय में विश्वास रखता है।
धर्मनिरपेक्ष
धर्मनिरपेक्ष शब्द का अर्थ है कि यह सभी धर्मों की समानता और धार्मिक सहिष्णुता प्रदान करता है। भारत का कोई भी आधिकारिक धर्म नहीं है। हर व्यक्ति को अपने पसंद के किसी भी धर्म की उपासना, पालन और प्रचार का अधिकार है। राज्य अपने नागरिकों के बीच धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते हैं।
लोकतांत्रिक
लोकतांत्रिक इसका मतलब है कि सरकार की सत्ता लोगों के हाथों में निहित है, लोगों को अपने निर्वाचित उन प्रतिनिधियों के माध्यम से इस शक्ति का प्रयोग करना होता है, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं।
गणराज्य
गणराज्य का मतलब यह है कि राज्य के प्रमुख एक वंशानुगत राजा नहीं होते हैं। यहाँ जनता की चुनी हुई सरकार होती है।
संघीय सरकार:
संविधान एक संघीय रूप की सरकार प्रदान करता है। एक महासंघ में, दो सरकारें हैं – एक केंद्रीय स्तर पर है और दूसरी राज्य स्तर पर है। सरकार की शक्तियों को केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच में बांटा जाता है।
मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य:
मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य, संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। मौलिक अधिकारों को लोगों के उचित नैतिक और भौतिक उत्थान के लिए आवश्यक माना जाता है। ये अधिकार इन अर्थों में मौलिक हैं कि यदि देश में विधानमंडल द्वारा पारित कोई भी कानून, संविधान द्वारा प्रदत्त इन मौलिक अधिकारों के प्रति अनादरपूर्ण है तो उस कानून को संविधान द्वारा शून्य व प्रभावहीन के रूप में घोषित किया जाएगा।
संसदीय सरकार:
भारतीय संविधान, सरकार को संसदीय रूप प्रदान करता है।जहाँ राष्ट्रपति राज्य का सांकेतिक प्रमुख है। सरकार को प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों द्वारा चलाया जाता है। मंत्रियों की परिषद सामूहिक रूप से संसद के समक्ष जिम्मेदार है।
आंशिक रूप से कठोर और आंशिक रूप से लचीला: भारत का संविधान न तो पूरी तरह कठोर है और न ही पूरी तरह से लचीला है। यह आंशिक रूप से कठोर और आंशिक रूप से लचीला है।
संविधान के कुछ प्रावधानों पर संसद में साधारण बहुमत से संशोधन किया जा सकता है।
कुछ प्रावधानों को तो संसद के दो-तिहाई बहुमत और कम से कम पचास प्रतिशत राज्यों द्वारा इसके अनुसमर्थन से संशोधन किया जा सकता है।
शेष प्रावधानों के दो-तिहाई बहुमत से संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है।
एकल नागरिकता:
महासंघ में, आम तौर पर हमारी दोहरी नागरिकता होती है। जैसे यू.एस.ऐ. में, हर नागरिक संयुक्त राज्य अमेरिका का भी नागरिक है, और जिस भी राज्य में वह रहता है वो वहां का भी नागरिक है। लेकिन भारत का संविधान हर भारतीय के लिए सिर्फ एकल नागरिकता ही प्रदान करता है।
स्वतंत्र न्यायपालिका:
भारतीय संविधान में एक स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान है। न्यायपालिका को कार्यपालिका और साथ ही विधानमंडल से भी स्वतंत्र कर दिया गया है। जिससे न्यायाधीश निष्पक्ष न्याय दें।
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