रेलवे ग्रुप डी - भौतिक विज्ञान पर मिश्रित नोट्स
पृष्ठ तनाव:
1. द्रव के पृष्ठ में कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है।
2. किसी द्रव का पृष्ठ तनाव, वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची काल्पनिक रेखा की इकाई लंबाई पर रेखा के लंबवत कार्य करता है।
पृष्ठ तनाव (S) = F/l
जहाँ F बल कार्य है, और L काल्पनिक रेखा की लंबाई है।
1. किसी भी तरल पदार्थ का सबसे कम पृष्ठ क्षेत्र, गोल आकार का होता है। जिस वजह से बारिश की बूंदे गोल होती हैं।
2. पृष्ठ तनाव का S।I। मात्रक न्यूटन/मीटर होता है।
3. पृष्ठ तनाव, तापमान के बढ़ने से कम हो जाता है।
4. जब तरल का पृष्ठ तनाव कम होता है, तो उसमें अशुद्ध पदार्थ कम घुलते हैं।
5. जब पृष्ठ तनाव बढ़ता है, तो उसमें अशुद्ध पदार्थ ज्यादा घुलनशील हो जाते हैं।
पृष्ठ तनाव के उपयोग:
1. पानी में साबुन, डिटर्जेंट या अन्य कोई स्नेहक मिलाने से पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।
2. पानी में नमक मिलाने से पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है।
3. पानी में तेल मिलाने से पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, इसका उपयोग पानी में मच्छर को पनपने से रोकने के लिए किया जाता है।
4. साबुन और डिटर्जेंट के मिश्रण का पृष्ठ तनाव, पानी के पृष्ठ तनाव के कम होता है, जिस वजह से साबुन कपडे पे लगे मैल को निकल देता है।
5. डेटोल का पृष्ठ तनाव कम होता है, जिस वजह से वह घाव के छोटे-से-छोटे कोने में फ़ैल जाता है और कीटाणुओं को मारता है।
6. गर्म सूप का पृष्ठ तनाव काम होता है, जिस वजह से वो जीभ पर पूरी तरह फ़ैल जाता है जिसकारण सूप का स्वाद बढ़ जाता है।
7. साबुन के बुलबुले बड़े होते हैं क्योंकि, उनका पृष्ठ तनाव कम होता है।
केशिकत्व:
1. किसी ट्यूब में तरल के बढ़ने और घटने की क्रिया को केशिकत्व कहा जाता है।
2. तरल का बढ़ना और घटना ट्यूब के रेडियस पर निर्भर करता है।
3. केशकत्व तरल और ठोस के स्वभाव पर निर्भर करता है।
4. तरल जो ट्यूब की दीवाल को गीला कर देता है वो ट्यूब में ऊपर की ओर बढ़ता है, वहीँ तरल जो ट्यूब की दीवारों को गीला नहीं कर पाता वह तल मे ही बैठा रहता है।
5. ट्यूब में तरल अवतल मिनिसकस बनाते हुए में उठता है, वहीँ मरक्यूरी उत्तल मिनिसकस बनाते हुए गिरता है।
केशिकत्व के उपयोग:
1. ब्लॉटिंग पेपर श्याही सोख लेता है क्योंकि, उसमें बने बारीक छेड़ केशिकत्व ट्यूब की तरह बर्ताव करते हैं।
2. दीपक की बाती में तेल केशिकत्व के मौजूदगी के वजह से उठता है।
3. खेती से पहले किसान ज़मीन को खनते है, जिस वजह से खेती में पानी की खपत कम हो जाती है। ऐसा केशिकत्व की वजह से मुमकिन हो पाता है।
4. वजन न के बराबर होने से, केशिकत्व ट्यूब में तरल गुरुत्वाकर्षण की गैर मौजूदगी में भी ऊपर की ओर बढ़ता है।
5. टॉवल का पानी सोखना भी केशिकत्व का कमाल है।
6. पिघला हुआ मोम, केशिकत्व के कारन ही बाती की ओर ऊपर बढ़ता है।
श्यानता:
1. श्यानता (Viscosity) किसी तरल का वह गुण है जिसके कारण वह किसी बाहरी प्रतिबल (स्ट्रेस) या अपरूपक प्रतिबल (शीयर स्ट्रेस) के कारण अपने को विकृत (deform) करने का विरोध करता है।
2. श्यानता का गुण तरल और गैस दोनों में मौजूद होता है।
3. तरल के अणुओं के बीच मौजूद एकजुट बल के वजह से, तरल में श्यानता का गुण मौजूद होता है।
4. गैसों में श्यानता, अणुओं के एक परत से दूसरी परत में हो रहे व्यापन की वजह से मौजूद होती है।
5. तरल की श्यानता, गैसों की श्यानता के मुकाबले बोहोत ज्यादा होती है।आदर्श तरल में श्यानता नहीं होती।
6. ठोस वस्तुओं में श्यानता नहीं होती
7. तापमान के बढ़ने के साथ तरल की श्यानता कम हो जाती है।
8. तापमान के बढ़ने के साथ गैसों की श्यानता बढ़ जाती है।
9. श्यानता को श्यानतागुणांक की मदद से मापा जाता है, और इसका S।I मात्रक डेकापोइसि या पास्कल द्वितीय होता है।
श्यानता से सम्बंधित टर्म्स:
टर्मिनल वेलोसिटी:
1. जब कोई चीज़ श्यानतिक तरल में गिरती है, तो उसकी वेलोसिटी पहले तो बढ़ने लगती है पर आखिर में स्थिर हो जाती है, इस स्थिर वेलोसिटी को टर्मिनल वेलोसिटी कहा जाता है।
2. श्यानतिक तरल में गिरती हुई वस्तु की टर्मिनल वेलोसिटी, वस्तु के रेडियस के वर्ग से आनुपाति होती है।
3. बारिश की बूंदों का रेडियस छोटा होता है, इसलिए उनकी टर्मिनल वेलोसिटी भी कम होती है।
4. जब तरल किसी पाइप से गुजरता है तो, उसकी गति अक्ष पर सबसे ज्यादा होती है और पाइप की दीवारों की ओर सबसे कम गति होती है।
स्ट्रीमलाइन फ्लो( कारगर प्रवाह):
1. यदि कोई तरल इस प्रकार बह रहा है की, उसके सारे अणु किसी बिंदु पर एक साथ पोहोंच रहें हैं, तो इस प्रवाह को स्ट्रीमलाइन फ्लो कहा जाता है।
2. स्ट्रीमलाइन फ्लो में अणु, पिछले अणु द्वारा अपनाए हुए रस्ते से गुजरते हैं।
क्रिटिकल वेलोसिटी:
1. जिस अधिकतम वेलोसिटी तक तरल का बहाव स्ट्रीमलाइन(कारगर) रहता है, उसेक्रिटिकलवेलोसिटी कहा जाता है।
2. बहाव क्रिटिकल वेलोसिटी तक कारगर रहता है, पर यदि गति क्रिटिकल वेलोसिटी से बढ़ जाए तो बहाव अशांत हो जाता है।
3. यदि बहाव की गति, क्रिटिकल वेलोसिटी से अधिक है तो, तरल की गति उसके घनत्व पर निर्भर करती है। इसी वजह से ज्वालामुखी का लावा धीर-धीरे बढ़ता है।
बरनौली का परिमेय:
1. यदि आदर्श तरल यानि की, असंपीड्य और अश्यान तरल स्ट्रीमलाइन फ्लो में बह तो तरल की प्रति मात्रक कुल ऊर्जा (दबाव ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा का जोड़) स्थिर बनी रहती है।
2. वेंटुरी ट्यूब और एस्पिरेटर पंप बरनौली के परिमेय के सिद्धांत पर बनाये गए हैं।
3. बरनौली के परिमेय के अनुसार तरल की गति बढ़ने पर उसका दबाव कम हो जाता है।
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