मध्यकालीन इतिहास नोट्स - दिल्ली सल्तनत
तराईन के द्वितीय युद्ध के बाद, मुहम्मद गोरी भारत में अपने विजित प्रदेशों को अपने विश्वनीय गुलाम कुतुबद्दीन ऐबक को सौंपकर वापस लौट गया। कुतुबद्दीन ऐबक ने मुहम्मद गोरी की मृत्यु के पश्चात गुलाम वंश की नींव रखी।
गुलाम वंश (1206-1290)
वर्ष
शासक
महत्वपूर्ण तथ्य
1206 - 1210
कुतुबुद्दीन ऐबक
1) मुहम्मद गोरी का सबसे भरोसेमंद गुलाम
2) 1210 में चौगान (पोलो) खेलते समय मृत्यु हो गई
3) इसे लाख बख़्स की उपाधि दी गई थी
4) इसने दिल्ली में कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद और अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा का निर्माण करवाया
5) इसने सूफी संत ख़्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में कुतुब मीनार का भी निर्माण शुरू करवाया
1210 – 1236
इल्तुतमिश
1) तुर्की विजय के वास्तविक समेकनकर्ता
2) इसने मंगोल, चंगेज खां के आक्रमण से दिल्ली सल्तनत की रक्षा की थी
3) इसने टंका और जीतल मुद्रा प्रणाली की शुरूआत की थी
4) इसने इक्ता प्रणाली – सैनिकों और अमीरों के लिए भूमि अनुदान का आयोजन किया
5) इसने चहलगानी प्रणाली को स्थापित किया जिसमें 40 उत्तम सदस्य शामिल थे।
6) इसने कुतुबमीनार के निर्माण को पूरा करवाया।
1236 – 1240
रजिया सुल्तान
1) पहली एवं एकमात्र मुस्लिम महिला जिसने भारत पर शासन किया
2) लोकप्रिय शासक होने के बावजूद, वे चहलगानी को नापंसद थी, जो सिंहासन पर एक कठपुतली शासक (उसके इशारों पर नाचने वाला) को बैठाना चाहते थे
3) वे डाकुओं के साथ युद्ध में पराजित हुई और उसकी हत्या कर दी गई
1240-1266
कमजोर शासकों का काल
रज़िया की मृत्यु के बाद, सिंहासन पर कमजोर शासक आए, जिन्हें अमीरों का समर्थन प्राप्त था। बहराम शाह, मसूद शाह और नसिरुद्दीन महमूद बाद में सिंहासन पर बैठे थे।
1266 – 1287
बलबन काल
1) एक मजबूत और केन्द्रीकृत सरकार की स्थापना की गई
2) इसने तुर्की अमीरों के विजेता के रूप में काम किया
3) इसने साम्राज्य की शक्ति को पुन: बहाल करने के लिए चहलगानी की ताकत को तोड़ दिया
4) इसने सेना की मजबूती के लिए सैन्य विभाग- दीवान-ए-अर्ज़ को स्थापित किया
5) इसने कानून और व्यवस्था समस्याओं को बहाल करने के लिए रक्त और लौहनीति (Blood and Iron Policy) को अपनाया
6) इसने सिजदा और पैबोस प्रथा पर जोर दिया
7) इसने जिल-ए-इलाही की उपाधि धारण की
1218 - 1227
चंगेज खान
1) ये एक मंगोल शासक था जो स्वयं को आतंक कहे जाने में गर्व महसूस करता था
2) इसने ख़्वारिज़मी साम्राज्य पर आक्रमण किया और संपन्न शहरों को लूट कर बर्बाद कर दिया
3) इसके काल में दिल्ली सल्तनत एकमात्र महत्वपूर्ण इस्लामी राज्य बन गया था
4) इल्तुतमिश ने 1221 में जलालुद्दीन के एक शरणार्थी निवेदन को अस्वीकार कर दिया, जिसे चंगेज खान ने हराया था। चंगेज खान सिंधु नदी को पार नहीं कर पाया, जिसने कमजोर सल्तनत को लुटेरों और लूटपाट से बचाया।
खिलज़ी वंश
वर्ष
शासक
महत्वपूर्ण तथ्य
1290 – 1296
जलालुद्दीन खिलजी
1) इसने तुर्की अमीरों के एकाधिकार की जांच की और सहिष्णुता की नीति अपनाई
1296 – 1316
अलाउद्दीन खिलजी
1) इसने धर्म को राजनीति से अलग किया और कहा की राजधर्म भाई-भतीजा वाद को नहीं पहचानता
2) इसने साम्राज्यवादी और संयोजन नीति अपनाई। इसने गुजरात, रणथंबौर, मालवा, मेवाड़ आदि पर कब्जा कर लिया
प्रशासनिक सुधार
1) चार फ़र्मानों की श्रृंखला द्वारा अलाउद्दीन ने अमीरों के कारण होने वाली समस्याओं से बचने के लिए कुछ कदम उठाए
2) इसने दाग देने – घोड़ों पर चिह्न लगाने और चेहरा प्रणाली सैनिकों के वर्णन की प्रणाली विकसित की
3) बाजार व्यवस्था स्थापित करके, अलाउद्दीन ने सभी वस्तुओं के लिए मूल्य निर्धारित किए
4) इसने कुतुब मीनार के प्रवेशद्वार पर अलाई किला और अलाई दरवाजे का निर्माण करवाया
5) इसने हजार खंभों के महल का भी निर्माण करवाया जिसे हजार सुतुन कहा जाता था
6) अमीर खुसरो, अलाउद्दीन के दरबारी कवि थे।
1316 – 1320
मुबारक खान
1320
खुसरो खान
गाज़ी मलिक ने एक विद्रोह में खुसरो खान को अपदस्थ कर दिया।
तुगलग वंश (1320-1412):
शासक
समय
गियासुद्दीन तुग़लक
1320-24
मुहम्मद तुग़लक
1324-51
फ़िरोज शाह तुग़लक
1351-88
मोहम्मद खान
1388
गियासुद्दीन तुग़लक शाह II
1388
अबू बकर
1389-90
नसीरुद्दीन मुहम्मद
1390-94
हुमांयू
1394-95
नसीरुद्दीन महमूद
1395-1412
शासक
शासनकाल
महत्वपूर्ण तथ्य
गियासुद्दीन तुग़लक
1320-1325
1. खिलजी वंश के अंतिम शासक खुसरो खान, गजनी मलिक द्वारा मारा गया था, और गजनी मलिक, गियासुद्दीन तुगलक के नाम पर सिंहासन पर आसीन हुआ।
2. उनकी एक दुर्घटना में मौत हो गई और उनके बेटे जौना (उलूग खान) ने मोहम्मद-बिन-तुगलक के नाम से गद्दी संभाली।
गियासुद्दीन तुगलक की उपलब्धियाँ
1. अलाउद्दीन के खाद्य कानून को फिर से लागू किया
2. सुदूर प्रांतो में विद्रोहियों से मजबूती से निपटे और शांति व्यवस्था कायम किया
3. डाक प्रणाली को बेहतर व्यवस्थित किया
4. कृषि को प्रोत्साहित किया
मोहम्मद बिन तुगलग
1325-1351
1. गियासुद्दीन तुगलक के पुत्र राजकुमार जौना ने 1325 में गद्दी संभाली।
2. उन्होंने कई प्रशानिक सुधार के प्रयास किये। उनकी पांच महत्वाकांक्षी परियोजंनाये थी जिसके लिए वह विशेषकर बहस का मुद्दा बन गए।
दोआब में कराधान (1326)
पूंजी का स्थानांतरण (1327)
टोकन मुद्रा का परिचय (1329)
प्रस्तावित खुरासन अभियान (1329)
करचील अभियान (1330)
3. उनकी पांच परियोजनायें उनके साम्राज्य में चारों ओर विद्रोह का कारण बनी। उनके अंतिम दिन विद्रोहियों से संघर्ष में गुजरे।
1335 - मुदुरई स्वतंत्र हुआ (जलालुद्दीन अहसान शाह)
1336 - विजयनगर के संस्थापाक (हरिहर और बुक्का), वारंगल स्वतंत्र हुआ (कन्हैया)
1341-47 - 1347 में सदा अमीर और बहमाणी की स्थापना का विद्रोह (हसन गंगू)
उनका तुर्की के एक गुलाम तघि के खिलाफ सिंध में प्रचार करते समय थट्टा में निधन हो गया।
फ़िरोज शाह तुगलक
1351-1388
1. वह मोहम्मद बिन तुगलक के चचेरे भाई थे। उनकी मौत के बाद बुद्धिजीवियों, धर्मगुरुओं और सभा ने फिरोज शाह को अगला सुल्तान नियुक्त किया।
2. दीवान-ए-खैरात (गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए विभाग) और दीवान-ई-बुंदगन (गुलामों का विभाग) की स्थापना की।
4. इक्तादारी प्रणाली को अनुवांशिक बनाना।
5. यमुना से हिसार नगर तक सिचांई के लिए नहर का निर्माण हर।
6. सतलुज से घग्गर तक और घग्गर से फ़िरोज़ाबाद तक।
7. मांडवी और सिरमोर की पहाड़ियों से हरियाणा के हांसी तक।
8. चार नए शहरों, फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर और हिसार की स्थापना।
फिरोज शाह तुगलक के बाद
1388-1414
1. फिरोज शाह की मौत के बाद तुगलक वंश बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं चला। मालवा (गुजरात) और शारकी (जौनपुर) राज्य सल्तनत से अलग हो गए।
2. तैमूर का आक्रमण: (1398 9 -99) में तैमूर, एक तुर्क ने तुगलक वंश के अंतिम शासक मुहम्मद शाह तुगलक के शासनकाल के दौरान 1398 भारत पर आक्रमण किया। उनकी सेना ने निर्दयतापूर्वक दिल्ली को लूट लिया।
3. तैमूर मध्य एशिया लौट गया और पंजाब पर शासन करने के लिए एक प्रत्याक्षी को छोड़ गया इस प्रकार तुगलग वंश का अंत हुआ।
सईद वंश (1414 – 1450):
शासक
काल
खिज़र खान
1414-21
मुबारक शाह
1421-33
मुहम्मद शाह
1421-43
अलाउद्दीन आलम शाह
1443-51
शासक
शासन काल
महत्वपूर्ण तथ्य
खिज़र खान
1414-1421
1. तैमूर द्वारा नामांकित हुआ और दिल्ली पे अधिकार प्राप्त किया और सईद वंश का पहला व दिल्ली का नया सुल्तान बना।
2. उन्होंने दिल्ली और आस पास के जिलों पर शासन किया।
मुबारक शाह
1421-1434
1. मेवातीस, काठेहर और गंगा के दोआब क्षेत्र में उनके सफल अभियान के बाद उन्हें खिज़र का गद्दी मिली।
2. उन्हें उनके दरबारियों ने मार डाला था।
मुहम्मद शाह
1434-1443
1. दरबारियों ने मुहम्मद शाह को गद्दी पर पर बिठाया, लेकिन आपस की लड़ाई के कारण टिक नहीं पाए।
2. वह 30 मील की दूरी के आसपास एक अल्प क्षेत्र पर शासन करने के लिए अधिकृत था और शेष सल्तनत पर उनके दरबारियों का शासन था।
आलम शाह
1443-1451
अंतिम सईद शासक ने बहलोल लोधी का समर्थन किया और गद्दी छोड़ दी। इस प्रकार लोधी वंश की शुरुआत हुई जिसका शासन दिल्ली और इसके आसपास तक सिमित था।
लोधी वंश (1451-1526 AD):-
शासक
शासन काल
महत्वपूर्ण तथ्य
बहलोल लोधी
1451-88
1. बहलोल लोधी अफगानी सरदारों में से एक था जिसने तैमूर के आक्रमण बाद खुद को पंजाब में स्थापित किया।
2. उन्होंने लोधी वंश की स्थापना की। उन्होंने सईद वंश के अंतिम शासक से गद्दी लेकर लोधी वंश के शासन को स्थापित किया।
3. वह एक मजबूत और बहादुर शासक था। उन्होंने दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों को जीत कर दिल्ली की गरिमा को बनाये रखने की कोशिश की और 26 वर्षों के लगातार युद्ध के बाद, वह जौनपुर, रेवेल, इटावा, मेवाड़, संभल, ग्वालियर आदि पर विजय प्राप्त किया।
4. वह एक दयालु और उदार शासक था। वह अपने आश्रितों की मदद के लिए लिए हमेश तैयार रहते थे।
5. चूँकि वह खुद एक अशिक्षित थे अतः उन्होंने कला और शिक्षा के विस्तार में मदद की। 1488 में उनकी मौत हो गई।
सिकंदर लोधी
1489-1517
1. सिकंदर लोधी, बहलोल लोधी का पुत्र था जिसने बिहार और पश्चिम बंगाल जीता था।
2. उन्होंने राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थानांतरित कर दिया, यह उनके द्वारा स्थापित शहर था।
3. सिकंदर एक कट्टर मुस्लिम था जिसने ज्वालामुखी मंदिर की प्रतिमाये तुड़वा दी और मथुरा के मंदिरो को नष्ट करने का आदेश दिया।
5. उसने कृषि विकास में काफी रूचि दिखाई। उन्होंने 32 गज के खेती योग्य भूमि को मापने के लिए गज-ई-सिकंदरी (सिकंदर गज) का परिचय कराया।
6. वह एक कट्टर सुन्नी और मुस्लिम कट्टरपंथी था। उनमे धार्मिक सहिष्णुता की कमी थी। धर्म के नाम पर, उसने हिंदुओं पर असीमित अत्याचार किया।
इब्राहिम लोधी
1517-26
1. वह लोधी वंश का अंतिम शासक और दिल्ली का आखिरी सुल्तान था।
2. वह सिकंदर लोधी का पुत्र था।
3. अफगान सरदार लोग बहादुर और आजादी से प्यार करने वाले लोग थे, लेकिन अफगान राजशाही के कमजोर होने का कारण भी इनकी पृथकतावादी और व्यक्तिगत सोच थी। इसके अलावा, इब्राहिम लोधी ने सुल्तान के रूप में पूर्ण सत्ता का दावा किया।
4. अंत में पंजाब के राजयपाल दौलत खान लोधी ने बाबर को इब्राहिम लोदी को उखाड़ फेंकने के लिए आमंत्रित किया; बाबर ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोढ़ी को बुरी तरह से हरा दिया।
5. सुल्तान इब्राहिम के अलावा कोई अन्य सुल्तान युद्ध क्षेत्र में मारा नहीं गया था।
दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण:
. एक प्रकार से जमे हुए और सैन्य सरकार जिस पर लोगो का भरोसा नहीं था।
. दिल्ली के सुल्तानों का पतन (विशेषकर मुहम्मद बिन तुगलक की वन्य परियोजना, फिरोज तुगलक की नाकामी)
. उत्तराधिकार की लड़ाई क्योंकि इसके लिए कोई कानून नहीं था।
. Greed and incompetency of nobles.
. त्रुटिपूर्ण सैन्य संगठन।
. साम्राज्य की विशालता और संचार के कमजोर साधन।
. वित्तीय अस्थिरता।
. फिरोज तुगलक के समय गुलामों की संख्या बढ़कर 1, 80,000 हो गई जो कि राजकोष पर अतिरिक्त बोझ थी।
. तैमूर का आक्रमण।
महत्वपूर्ण केंद्रीय विभाग
विभाग
कार्य
दीवान -ई-रिसालत (विदेश मंत्री)
अपील विभाग
दीवान-ई-अरिज
सैन्य विभाग
दीवान-ई-बंदगन
दास विभाग
दीवान-ई-क़ाज़ा-ई-मामालिक
न्याय विभाग
दीवान-ई-इसथियाक
पेंशन विभाग
दीवान-ई-मुस्तखराज
बकाया विभाग
दीवान-ई-खैरात
दान विभाग
दीवान-ई-कोही
कृषि विभाग
दीवान-ई-इंशा
पत्राचार विभाग
महत्वूर्ण केंद्रीय आधिकारिक पद
पद
भूमिका
वज़ीर
राजस्व और वित्त प्रभारी व राज्य के मुख्यमंत्री, अन्य विभाग द्वारा नियंत्रित।
अरीज़-ई-ममलिक
सैन्य विभाग प्रमुख
काज़ी
न्यायिक अधिकारी (मुस्लिम शरीयत कानून आधारित नागरिक क़ानून)
वकील-ई-डार
शाही घराने के नियंत्रक
बारिद-ई-मुमालिक
राज्य समाचार एजेंसी प्रमुख
आमिर-ई-मजलिस
शाही समारोहों, सम्मेलन और त्यौहारों के आधिकारिक कार्यभार।
मजलिस-ई-आम
राज्य के महत्वपूर्ण मामलों पर परामर्श के लिए मैत्री एवं आधिकारिक निकाय।
दाहिर-ई-मुमालिक
शाही पत्राचार प्रमुख।
सद्र-ई-सुदूर
धार्मिक मामलों और निधि निपटान।
सद्र-ई-जहाँ
धार्मिक और दान निधि अधिकारी।
अमीर-ई-दाद
सार्वजानिक वकील
नायब वज़ीर
उप मंत्री
मुशरिफ-ई-मुमालिक
महालेखागार
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