Wednesday, 25 December 2019

WTO और विवाद निपटान का संकट

WTO और विवाद निपटान का संकट

संदर्भ

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अपीलीय प्राधिकरण के तीन में से दो सदस्य इसी माह (दिसंबर) में कार्यमुक्त हो गए हैं, ज्ञात हो कि अब प्राधिकरण में मात्र एक ही सदस्य बचा है। इसके अतिरिक्त WTO के अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष एक अन्य समस्या यह है कि पिछले वर्ष अमेरिका ने इसमें नई नियुक्तियों पर वीटो का प्रयोग करते हुए रोक लगा दी थी, क्योंकि अमेरिका को लगता है कि विश्व व्यापार संगठन पक्षपात की भावना से कार्य करता है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण ढहने के कगार पर है और यदि वैश्विक समुदाय द्वारा अतिशीघ्र इसकी स्थिति पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लगता दिखाई दे सकता है।

पृष्ठभूमि

WTO के नियमों के अनुसार, विवाद निपटान तंत्र या अपीलीय प्राधिकरण को कार्य करने के लिये कम-से-कम तीन सदस्यों की आवश्यकता होती है और बीते दिनों 2 सदस्यों की कार्यमुक्ति से अपीलीय प्राधिकरण का संचालन पूरी तरह से रुक गया है।


कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष मौजूद इस चुनौती से स्वयं WTO के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि विवादों को निपटाने की व्यवस्था संगठन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य माना जाता है।


दरअसल बीते वर्ष अमेरिका ने वीटो का प्रयोग करते हुए प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति और 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके सदस्यों की पुनर्नियुक्ति पर रोक लगा दी थी।


अमेरिका ने स्वयं के साथ हुए ‘अनुचित’ व्यवहार का हवाले देते हुए विश्व व्यापार संगठन पर शक्तियों का दुरुपयोग करने और पक्षपात की भावना से कार्य करने का आरोप लगाया था।अमेरिका के इस निर्णय के समर्थकों का मानना है कि WTO ने चीन को उसकी अर्थव्यवस्था मज़बूत करने का अवसर दिया है। साथ ही वह चीन द्वारा व्यापक रूप से प्रयोग की जा रहीं अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिये भी कुछ नहीं कर रहा।


WTO का विवाद निपटान तंत्र

WTO की विवाद निपटान प्रणाली में किसी भी व्यापार विवाद को आरंभ में संबंधित सदस्य देशों के बीच परामर्श के माध्यम से निपटाने की कोशिश की जाती है।


यदि यह उपाय सफल नहीं होता है तो मामला एक विवाद पैनल (Dispute Panel) के पास जाता है। विवाद पैनल का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन उसके निर्णय के खिलाफ अपील अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Body-AB) के समक्ष की जा सकती है।ज्ञात हो कि WTO का विवाद निस्तारण तंत्र दुनिया में सबसे सक्रिय तंत्रों में से एक है।


अपीलीय प्राधिकरण द्वारा विवाद पैनल के निर्णयों की समीक्षा की जाती है और अपीलीय प्राधिकरण द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के पश्चात् यह अंतिम होती है तथा सदस्य देशों पर बाध्यकारी होती है।


WTO प्रणाली के अनुसार, AB में सात सदस्य होने चाहिये जो WTO के सदस्य देशों के बीच आम सहमति से नियुक्त किये जाते हैं। WTO के विवाद पैनल से किसी भी अपील को AB के सात सदस्यों में से तीन द्वारा सुना जाता है।


इन सात सदस्यों को चार वर्ष के कार्यकाल के लिये नियुक्त किया जाता है। एक बार जब किसी AB सदस्य का कार्यकाल पूरा हो जाता है तो AB की सदस्य क्षमता को सात बनाए रखने के लिये एक नए सदस्य की नियुक्ति की आवश्यकता होती है।


क्यों महत्त्वपूर्ण है अपीलीय प्राधिकरण?

विदित है कि अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1995 में की गई थी और तब से अब तक विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संज्ञान में तकरीबन 500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विवाद लाए जा चुके हैं एवं लगभग 350 से अधिक मामलों में निर्णय भी दिया है।


संगठन का विवाद निपटान तंत्र दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय तंत्रों में से एक है और अपीलीय प्राधिकरण इन मामलों में सर्वोच्च प्राधिकारी है।


विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रवाह में सुगम सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है।


प्राधिकरण की निष्क्रियता का प्रभाव

यदि विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय प्राधिकरण को निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है तो WTO के समक्ष अपने अंतर्राष्ट्रीय विवादों को ले जाने वाले देशों को पैनल द्वारा लिये गए निर्णय को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा, चाहे उसमें किसी प्रकार भी प्रकार की त्रुटी क्यों न हो।


इससे वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने एवं समाप्त करने के लिये दो दशकों से चले आ रहे प्रयासों के कारण WTO का ढाँचा कमज़ोर हो सकता है।


वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है क्योंकि इस प्रकार की समस्याएँ हैं। उदाहरण के लिये अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है।


यदि यह प्राधिकरण समाप्त हो जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं रह जाएगा।


भारत पर प्रभाव

WTO के अपीलीय प्राधिकरण की निष्क्रियता बिलकुल भी भारत के हित में नहीं है, क्योंकि इसके कारण भारत के कई विवाद अधर में रह जाएँगे।


ज्ञात हो कि वर्ष 1995 से अब तक भारत कुल 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है, जबकि 158 विवादों में तीसरे पक्ष के रूप में शामिल रहा है।


इसी वर्ष फरवरी में अपीलीय प्राधिकरण ने भारत और जापान के मध्य चल रहे एक विवाद में अपील के लिये कर्मचारी उपलब्ध कराने की असमर्थता व्यक्त की थी।ध्यातव्य है कि यह विवाद भारत द्वारा लोहे और इस्पात उत्पादों के आयात पर लगाए गए कुछ सुरक्षा उपायों से संबंधित है।


विगत एक वर्ष में विश्व व्यापार संगठन में भारत के खिलाफ चार शिकायतें दर्ज़ कराई गई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि भारत अपने चीनी और गन्ना उत्पादकों के लिये WTO के नियमों के दायरे से बाहर जाकर समर्थन जुटाने के उपाय कर रहा है।


विश्व व्यापार संगठन और उसकी प्रासंगिकता

विश्व व्यापार संगठन विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1995 में मराकेश संधि के तहत की गई थी।


वर्ष 1995 में WTO के अस्तित्व में आने के बाद से विश्व में व्यापक परिवर्तन आया है जिनमें से कई परिवर्तन गहन संरचनात्मक प्रकृति के रहे हैं। नई प्रौद्योगिकियों ने हमारे सोचने, संवाद और व्यापार करने के तरीकों को बदल दिया है।


वर्ष 1995 में विश्व की 0.8 प्रतिशत से भी कम आबादी इंटरनेट का उपयोग कर रही थी, जबकि जून 2019 में यह संख्या लगभग 57 प्रतिशत है।


संचार प्रौद्योगिकियों और कंटेनराइज़ेशन (वस्तु परिवहन का सुगम साधन) ने लागत को कम कर दिया है तथा देश से आयात-निर्यात होने वाले घटकों की मात्रा में वृद्धि की है जिससे उत्पादन शृंखला के अंतर्राष्ट्रीयकरण में वृद्धि हुई है।उदाहरण के लिये आईफोन (iPhone) में लगभग 14 मुख्य घटक होते हैं जिनका निर्माण 7-8 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (40 से अधिक देशों में उनकी शाखाओं में) द्वारा किया जाता है।


वर्ष 1995 से अब तक वस्तुओं का समग्र व्यापार लगभग चार हो गया है, जबकि WTO के सदस्य देशों के आयात शुल्क में औसतन 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। विश्व व्यापार का आधा से अधिक हिस्सा अब शुल्क-मुक्त है (WTO, 2015)।


अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि दर विश्व जीडीपी में वृद्धि दर से अधिक हो गई है तथा व्यापार में यह वृद्धि लोगों के जीवन स्तर में सुधार के साथ जुड़ी रही है।


वर्तमान में WTO अपने सदस्य देशों के बीच वैश्विक व्यापार प्रवाह के 98 प्रतिशत से अधिक भाग को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त WTO मुक्त व्यापार समझौते के क्रियान्वयन की निगरानी करता है, वैश्विक व्यापार तथा आर्थिक नीतियों पर अनुसंधान करता है, साथ ही विभिन्न देशों के मध्य व्यापार को लेकर होने वाले विवादों के लिये विवाद निवारण तंत्र का कार्य भी करता है।


इस बात पर गौर करने की बजाय कि WTO ने कितनी मात्रा में व्यापार का सृजन किया है तथा शुल्क में कितनी कमी की है, एक अन्य दृष्टिकोण पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि WTO के कारण प्रत्येक वर्ष 340 बिलियन डॉलर मूल्य के व्यापार के नुकसान में कमी आई है।


आगे की राह

जब अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है तो इसमें WTO के सभी सदस्यों की आम सहमति ज़रूरी होती है। अगर इनमें सहमति नहीं बन पाती है तो मतदान का प्रावधान है। ऐसे में अमेरिका के हठ को देखते हुए इस प्राधिकरण के पुनः कार्यान्वयित न होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।


इस स्थिति को देखते हुए विवादों के निपटान हेतु कई राज्यों ने तदर्थ समाधान को अपनाने का प्रयास किया है।इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे राष्ट्रों ने अग्रिम रूप से उन दोनों के बीच विवाद में पैनल के फैसले को अपील नहीं करने के लिये सहमति व्यक्त की है।


इसके अलावा यूरोपीय संघ (EU), नॉर्वे और कनाडा ने भी मध्यस्थता के माध्यम से डिस्प्यूट सेटलमेंट अंडरस्टैंडिंग (DSU) के अनुच्छेद 25 का उपयोग करते हुए किसी भी विवाद को हल करने हेतु एक अंतरिम अपील प्रणाली पर सहमति व्यक्त की है।


भारत सहित 17 अल्प-विकसित और विकासशील देशों के समूह ने अपीलीय प्राधिकरण में गतिरोध समाप्त करने हेतु एक साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई है। अतः इस आशय का एक प्रस्ताव लाया जाए एवं मतदान हो तथा बहुमत के आधार पर अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्य की नियुक्ति करने का प्रयास किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि कुछ जानकार इस इसे अंतिम विकल्प के रूप में भी देख रहे हैं।


प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवाद के निपटान में WTO के अपीलीय प्राधिकरण की भूमिका की जाँच करते हुए इसके समक्ष स्थित मौजूदा संकट और उसके प्रभावों को स्पष्ट कीजिये।

करेंट अफेयर्स एक पंक्ति में: 25 दिसंबर 2019

करेंट अफेयर्स एक पंक्ति में: 25 दिसंबर 2019

• भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस जिस दिन मनाया जाता है-24 दिसंबर

• विश्व आर्थिक फोरम की 50वीं वार्षिक बैठक का आयोजन स्विट्जरलैंड के जिस शहर में जनवरी 2020 में किया जायेगा- दावोस

• अपोलो हॉस्पिटल समूह की जिस संयुक्त प्रबंध निदेशक ने देश के प्रमुख उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है- संगीता रेड्डी

• वह देश जिसके पूर्व प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल ने यूरोपियन काउंसिल तथा यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है- बेल्ज़ियम

• वह राज्य कैबिनेट जिसने हाल ही में वायु प्रदूषण से निपटने हेतु एक बड़ा कदम उठाते हुए इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 को मंजूरी दे दी है- दिल्ली कैबिनेट

• हाल ही में आठ पश्चिमी अफ़्रीकी देशों ने कॉमन करेंसी को यह नाम दिया है- ECO

• वह महिला भारोत्तोलक जिसने कतर इंटरनेशनल कप में कांस्य पदक जीतने के साथ दो नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाए- राखी हलदर

• हाल ही में संपन्न हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति चुनावों में जिसे जीत मिली है- अशरफ गनी

• जिस संस्था द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि प्रत्येक सात में से एक भारतीय मानसिक अस्वस्थता से ग्रसित है- लांसेट पेपर

• जिसे हाल ही में विदेश सचिव नियुक्त किया गया है- हर्षवर्धन श्रृंगला

Friday, 20 December 2019

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Thursday, 19 December 2019

सूर्य ( Sun )

सूर्य ( Sun )
 
- सूर्य के रासायनिक संगठन में हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% तथा अन्य तत्व 2.5% शामिल हैं।


- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 8 मिनट 1.66 सेकेण्ड लगते हैं।


सूर्य की संरचना


- प्रकाश मंडल सूर्य की दिखायी देने वालीदीप्तिमान सतह है प्रकाश मंडल के किनारे वाला भाग, जो दीप्तिमान नहीं होता है और लाल रंग का होता है वर्णमंडल कहलाता है।


- प्रभावमंडल सूर्य का वाह्यताम भाग है (जो केवल सूर्य ग्रहण के समय ही दिखता है)।


- कोरोना से एक्स किरणें उत्सर्जित होती रहती है और पूर्ण सूर्यग्रहण के समय पृथ्वी इसी कोरोना से प्रभावित होती है।


- जब सूर्य के किसी भाग का ताप अन्य भागों की तुलना में कम हो जाता है टो धब्बे के रूप में दीखता है, जिसे सौर कलंक कहते हैं। इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक का होता है।कई दिनों तक सौर कलंक बने रहने के पश्चात रेडियो संचार में बाधा आती है।


 


सौरमंडल के ग्रह  ( The Planet Of The Solar System )

सौरमंडल के ग्रह  ( The Planet Of The Solar System )


बुध Mercury


1. सूर्य से निकटतम ग्रह।


2. सूर्य की परिक्रमा 87 दिन 23 घंटे।


3. बुध का एक दिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर।


4. परिणाम में पृथ्वी का 18वां भाग।


5. बुध पर वायुमंडल का आभाव है।


शुक्र Venus


1. सूर्य से दूसरा ग्रह तथा पृथ्वी से सर्वाधिक नजदीक ग्रह है।


2. सबसे अधिक चमकीला ग्रह कहा जाता है। प्रातः कल यह पूर्व में और सायंकाल में पश्चिम की ओर दिखायी देता है।


3. सर्वाधिक लम्बे दिन व रात होते हैं।


4. आकर औए द्रव्यमान में पृथ्वी के बराबर और स्वरूप में समान होने के कारण इसे पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है।


5. वायुमंडल का घनत्व पृथ्वी के वायुमंडल की अपेक्षा 15 गुना है।


चंद्रमा Moon


1. व्यास-पृथ्वी के व्यास का लगभग एक चौथाई (3776 किमी.)।


2. गुरुत्वाकर्षण बल- पृथ्वी का 1/6 भाग।


3. चंद्रमा के पृथ्वी के चरों ओर घुमने की अवधि 27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट।


4. चंद्रमा के प्रकाश की पृथ्वी तक पहुँचने में लगा समय 1.3 सेकेण्ड।


5. रासायनिक संघटक – मुख्यतः सिलिकन, लोहा और मैग्नीशियम।


6. चंद्रमा पर वायुमंडल का आभाव होने के कारण वहां ध्वनि सुनाई नहीं देती है।


7. चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लिबनिज पर्वत (35,000 फीट) है।


8. चन्द्रमा के भौतिक भूगोल का अध्ययन करने वाले विज्ञान को सैलेनोग्राफी कहते हैं।


9. चंद्रमा का 54% भाग ही पृथ्वी से देखा जा सकता है।


10. चन्द्रमा का वह भाग जो पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता है। सी ऑफ़ ट्रैन्क्विलिटी कहलाता है।


11. चंद्रमा पर करीब 30,000 क्रेटर हैं। क्लैवियस (सबसे बड़ा). टायको, कपरनिकस ये क्रेटर उल्कापतीय तथा ज्वालामुखीय हैं।


12. चन्द्रमा सूर्य की भांति भूमध्य रेखा के सन्दर्भ में उत्तरायन व दक्षिणायन होता है। चन्द्रमा 290उ. से 280द. के बीच 29.9 दिनों में भ्रमण करता है, जिसे संयुति मास कहते हैं।


13. पूरे सौरमंडल में सामान्य उपग्रह से बहुत बड़ा। यह पृथ्वी के आकार का ¼ है। सामान्य उपग्रह अपने मूल ग्रह के आकर का 8वां भाग होते हैं।


14. चन्द्रमा की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 40336 किमी. व न्यूनतम दूरी 354340.8 किमी. है।


15. चंद्रमा की आयु 460 करोड़ वर्ष है।


पृथ्वी या नीला ग्रह Earth or Blue Planet


1. आकर में पृथ्वी का स्थान 5वां है।


2. आकार और बनावट में पृथ्वी शुक्र ग्रह के समान है।


3. अन्तरिक्ष से देखने पर पृथ्वी का रंग पानी व वायुमंडल के कारण नीला दिखायी देता है।


4. पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है।


मंगल या लाल ग्रह Mars or Red Planet


1. सूर्य से चौथा ग्रह सूर्य की परिक्रमा- 1 साल, 321 दिन तथा आकार में अंडाकार है।


2. रासायनिक संघटक- कार्बन डाइऑक्साइड 95%, नाइट्रोजन 2-3%, आर्गन 2%, कुछ मात्र में बर्फ, अमोनिया तथा मीथेन भी पाई जाती हैं।


3. मंगल का सबसे ऊँचा पर्वत ज्वालामुखी निक्स ओलम्पिया।


4. मंगल के दो उपग्रह- फोबोस तथा डेमोस हैं।


5. मंगल व वृहस्पति के बीच क्षुद्र ग्रह मिलते हैं।


वृहस्पति Jupiter


1. सूर्य से 5वां ग्रह, सूर्य की परिक्रमा 11 साल, 315 दिन तथा 1 घंटा।


2. सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह।


3. वृहस्पति ग्रह के 63 उपग्रह हैं, जिनमे गैनिमीड, कैलिस्टो, आयो यूरोपा आदि प्रमुख हैं। गैनिमीड सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।


4. वृहस्पति के लाल धब्बे की खोज पायनियर अंतरिक्ष अभियान द्वारा की गयी थी।


5. सबसे भारी ग्रह एवं इसका पलायन वेग सर्वाधिक (59.4 किमी. / सेकेण्ड) है।


ग्रहों से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य


सबसे बड़ा और महाकाय ग्रह    
वृहस्पति


सर्वाधिक उपग्रह वाला ग्रह    
वृहस्पति


सर्वाधिक औसत घनत्व वाला ग्रह    
पृथ्वी


सबसे बलशाली चुम्बकीय क्षेत्र वाला ग्रह    
वृहस्पति


सबसे धीमी गति से घूर्णन करने वाला ग्रह    
शुक्र


कोई उपग्रह नहीं    
बुध व शुक्र ग्रह के


सबसे तेज गति से परिक्रमा    
बुध द्वारा


क्रांति वृत्त के सर्वाधिक समीप घूर्णन ध्रुव    
यूरेनस (अरुण) का


सबसे ऊँचा पर्वत वाला ग्रह    
मंगल


सबसे कम औसत घनत्व    
शनि का


सबसे तेज गति से घूर्णन करने वाला ग्रह    
बुध


सर्वाधिक वृत्तीय कक्षा    
शुक्र


सर्वाधिक गर्म ग्रह    
शुक्र


सर्वाधिक द्रव या सतही जल वाला ग्रह    
पृथ्वी


सबसे लम्बा (संयुति) दिन    
बुध पर


सबसे बड़े उपग्रह वाला ग्रह    
वृहस्पति


उपग्रह युक्त सर्वाधिक कक्षा वाला ग्रह    
वरुण (नेपच्यून)


ग्रहों से सम्बंधित मुख्य विशेषताएं


सर्वाधिक बड़ा    
वृहस्पति


सर्वाधिक छोटा    
बुध


सर्वाधिक गर्म तथा सूर्य के सर्वाधिक नजदीक    
बुध


सर्वाधिक ठंडा तथा सर्वाधिक दूर    
यम


सर्वाधिक चमकीला    
शुक्र


सौर मंडल का सबसे बड़ा उपग्रह    
गैनीमीड


वे ग्रह जिनके उपग्रहों की संख्या शून्य है    
बुध व शुक्र


वह ग्रह जिसका केवल एक उपग्रह है    
पृथ्वी


शुक्र और यूरेनस को छोड़कर सभी ग्रहों के घूर्णन और परिक्रमा की दिशा एक ही रहती है। शुक्र और यूरेनस अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूर्णन करते हैं।


बुध और शुक्र    
हीन या क्षुद्र ग्रह


बुध, शुक्र, पृथ्वी व् मंगल    
आतंरिक ग्रह


वृहस्पति, शनि, यूरेनस व नेपच्यून    
वाह्य ग्रह


ग्रह और उनके उपग्रह


ग्रह    उपग्रह


मंगल    
फोबोस, डीमोस


पृथ्वी    
चंद्रमा


वृहस्पति    
गैनीमीड, यूरोपा, आयो, कैलिस्टो, मेटिस, थेबे


अरुण    
मिरांडा,जूलियट


नेपच्यून    
ट्राइटन


शनि    
टाइटन, टेथिस, एटलस, पण्डोरा


अन्य स्मरणीय बिंदु


Alpha Centuri    
सबसे नजदीक का तारा


Ceres    
पहला क्षुद्र ग्रह


Astronomical Unit    
सूर्य और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी


Canopus    
दूसरा सबसे चमकीला तारा


Ozone    Triatomic Oxygen- 
O3 ओजोन


Perigee    
पृथ्वी का चंद्रमा से सबसे नजदीकी बिंदु


Apogee    
पृथ्वी का चन्द्रमा से सबसे दूरस्थ बिंदु


Aphelion    
सूर्य का सबसे नजदीकी बिंदु


Cirus    
आकाश में सबसे चमकीला तारा


शनि Saturn


1. आकाश में सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह।


2. टाइटन - कैसिनी ह्यूजेन्स मिशन – टाइटन उपग्रह  से सम्बंधित खोज।


3. शनि की सबसे बड़ी विशेषता – इसके चतुर्दिक वलय, जिनकी अब तक कुल ज्ञात संख्या 10 है।


4. रासायनिक संघटक – मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम गैस, कुछ मात्र में मीथेन और अमोनिया।


5. शनि के उपग्रह – 31


6. टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है, जो बुध के बराबर है। टाइटन पर नाइट्रोजनीय वातावरण और हाइड्रोकार्बन मिले हैं।


7. शनि के अन्य मुख्य उपग्रहों के नाम- मीमांस, एनसीलग्डू, टेथिस, रीया और फोवे आदि हैं।


8. सबसे कम घनत्व वाला ग्रह (0.7) है।


9. फोवे शनि की कक्षा के विपरीत परिक्रमा करता है।


10. शनि आँखों से देखा जाने वाला अंतिम ग्रह है।


अरुण Uranus


1. सूर्य से सातवां ग्रह।


2. आकार में तीसरा ग्रह तापमान 215 डिग्री सेल्सियस।


3. खोज 1781 ई. में सर विलियम हर्शेल द्वारा।


4. सूर्य की परिक्रमा करने में लगा समय 84 वर्ष, 6 दिन, 3 घंटे।


वरुण Neptune


1. सूर्य से 8वां ग्रह।


2. आकाश में सौरमंडल में चौथा सबसे बड़ा ग्रह।


3. इस ग्रह के चरों तरफ 5 वलय हैं।


4. कुल उपग्रह 11 हैं।


5. पहला उपग्रह ट्रिटोन है, दूसरा नेरिड है, अन्य उपग्रह N-1, N-2, N-3, N-4, N-5 आदि हैं।


खागोलीय पिंडों का नया वर्गीकरण The New Classification of Celestial Bodies


1. 24 अगस्त, 2006 को चेक गणराज्य के प्राग शहर में अंतर्राष्ट्रीय खालोगीय संघ (IAU) के 75 देशों के भूगोलवेत्ताओं ने भाग लिया, जिसमे ग्रहों की निम्नलिखित श्रेणियां बनायी गयीं।


2. पारंपरिक ग्रह – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि यूरेनस नेपच्यून।


3. प्लूटोंस – सेरिस व् ईरिस (जेना) जो नेपच्यून ग्रह से आगे लगभग वर्तमान सौरमंडल की सीमा से बाहर।


4. स्माल, सोकर सिस्टम बॉडीज – मंगल ग्रह व वृहस्पति की कक्षा के बीच बड़ी संख्या में उपग्रह एवं आकाशीय पिंड।


 


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