Tuesday, 5 September 2017

भारतीय जलवायु के प्रकार, प्रमुख ऋतुएँ, कारक एवं मानसून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

भारतीय जलवायु के प्रकार, प्रमुख ऋतुएँ, कारक एवं मानसून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

जलवायु किसे कहते है?

एक विशाल क्षेत्र में लम्बी समयावधि में मौसम की अवस्थाओं तथा विविधताओं का कुल योग ही जलवायु है (अर्थात जलवायु में परिवर्तन बहुत लम्बी समयावधि में ही घटित होते हैं जैसे वर्तमान में पृथ्वी के तमाम स्थानों पर ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति विद्यमान है जो कई वर्षों में घटित कारणों के चलते उजागर हुई है)।

भारतीय जलवायु के प्रकार:

विषुवतीय जलवायुमौनसूनी जलवायुउष्ण मरुस्थली जलवायुउपोष्ण तृणभूमि जलवायुभूमध्यसागरीय जलवायुशीत मरुस्थलीय जलवायुटुण्ड्रा जलवायु

भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक:

भारत की स्थिति और उच्चावच।कर्क रेखा का भारत के मध्य से गुजरना।उत्तर में हिमालय और दक्षिण में हिंद महासागर की उपस्थिति।पृष्ठीय पवनें और जेट वायु धाराएँ।

मानसून की क्रियाविधि:

भारत की प्रमुख ऋतुएँ:

परंपरागत रूप से भारत में छह ऋतुएँ मानी जाती रहीं हैं परन्तु भारतीय मौसम विज्ञान विभाग चार ऋतुओं का वर्णन करता है जिन्हें हम उनके परंपरागत नामों से तुलनात्मक रूप में निम्नवत लिख सकते हैं:

1. शीत ऋतु: दिसंबर से मार्च तक, जिसमें दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं; उत्तरी भारत में औसत तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस होता है।

2. ग्रीष्म ऋतु: अप्रैल से जून तक जिसमें मई सबसे गर्म महीना होता है, औसत तापमान 32 से 40 डिग्री सेल्सियस होता है।

3. वर्षा ऋतु: जुलाई से सितम्बर तक, जिसमें सार्वाधिक वर्षा अगस्त महीने में होती है, वस्तुतः मानसून का आगमन और प्रत्यावर्तन (लौटना) दोनों क्रमिक रूप से होते हैं और अलग अलग स्थानों पर इनका समय अलग अलग होता है। सामान्यतः 01 जून को केरल तट पर मानसून के आगमन की तारीख होती है। इसके ठीक बाद यह पूर्वोत्तर भारत में पहुँचता है और क्रमशः पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर गतिशील होता है इलाहाबाद में मानसून के पहुँचने की तिथि 18 जून मानी जाती है और दिल्ली में 29 जून।

4. शरद ऋतु: उत्तरी भारत में अक्टूबर और नवंबर माह में मौसम साफ़ और शांत रहता है और अक्टूबर में मानसून लौटना शुरू हो जाता है जिससे तमिलनाडु के तट पर लौटते मानसून से वर्षा होती है।

मानसून किसे कहते है?

मानसून: इसकी उत्त्पत्ति अरबी के “मौसिम” शब्द से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है “ऋतुनिष्ठ परिवर्तन”।

मानसून उत्पत्ति के प्रमुख कारण:

जल व थल का असमान रूप से गर्म होना।ग्रीष्म ऋतु में थलीय भाग अधिक गर्म होते है जिससे थल में “निम्न दाब” का क्षेत्र बनता है। फलतः अधिक दाब की पवनें निम्न दाब की ओर प्रवाहित होने लगती है ये पवनें समुद्र की ओर से वर्षाजल लेकर आती है।

मानसून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची:

मानसून का अच्छा प्रदर्शन अल नीनो की घटना पर निर्भर करता है। यह पाया जाता है कि जिस वर्ष अलनीनो का आगमन होता है उस वर्ष मानसून का प्रदर्शन कमजोर होता है। इसके अतिरिक्त जेटधारा भी भारतीय मानसून को अत्यधिक प्रभावित करती है।भारत की जलवायु पर उष्णता तथा मानसून का सबसे अधिक प्रभाव है, इसलिए यहां की जलवायु को उष्ण मानसूनी जलवायु कहा गया है।भारत के मानसून का स्वभाव अत्यंत ही अनिश्चित होता है, इसी अनिश्चितता के कारण इसे भारतीय किसान के साथ जुआ कहा गया है।भारतीय उपमहाद्वीप पर उपोष्ण जेट तथा पूर्वी जेट हवा का प्रभाव पड़ता है और ये हवाएं भारत मेँ मानसून को नियंत्रित करती हैं।उत्तरी-पूर्वी राज्यों मेँ वर्षा पर्वतीय प्रकार की होती है। यहां की गारो, खासी, जयंतिया, मिकिर, रेंगमा, बराइल आदि पहाडियोँ से टकराकर ये हवायें ऊपर उठती हैं और ठंडी होकर वर्षा करती हैं।चेरापूंजी मेँ अधिक वर्षा का कारण मानसूनी हवा का शंकु के आकार मेँ गारो, खासी, जयंतिया की घाटी के बीच से ऊपर उठना एवं ठंडी होकर अत्यधिक वर्षा करना है।सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम है, जो चेरापूँजी से 50 किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित है।असम के मैदानी भागोँ मे वर्षा चक्रवातीय प्रकार की होती है।मरुस्थल में ताप का व्युत्क्रमण पाया जाता है।बंगाल की खाड़ी मेँ गर्त नहीँ बनते हैं।

 

जलवायु से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

मानसून का फटना किसे कहते है?

मानसून के फटने की परिभाषा: आद्रता से परिपूर्ण द।पश्चिमी मानसून पवन  स्थलीय भागों में पहुचकर बिजली के गर्जन के साथ तीव्र वर्षा कर देती है अचानक हुई इस प्रकार के तेज बारिश को “मानसून का फटना” कहते है।

मानसून का परिच्छेद किसे कहते है?

मानसून के परिच्छेद की परिभाषा: दक्षिण पश्चिम मानसून के वर्षा काल में जब एक या अधिक सप्ताह तक वर्षा नहीं होती तो इस घटना/अंतराल को “मानसून परिच्छेद” या “मानसून विभंगता” कहते है।

लू किसे कहते है?

लू की परिभाषा: ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तरी पश्चिमी भागों में सामान्यतः दोपहर के बाद चलने वाली शुष्क एवं गर्म हवाओ को लू कहते है इसके प्रभाव से कई बार लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

काल बैशाखी किसे कहते है?

काल बैशाखी की परिभाषा: ग्रीष्म ऋतु में स्थलीय एवं गर्म पवन और आद्र समुद्री पवनों के मिलने से तड़ित झंझा युक्त आंधी व तूफ़ान की उत्पत्ति होती है जिसे पूर्वोत्तर भारत में “नार्वेस्टर” और पश्चिम बंगाल में “काल बैशाखी” कहा जाता है।

आम्र वृष्टि किसे कहते है?

आम्र वृष्टि की परिभाषा: ग्रीम काल में कर्नाटक में स्थलीय एवं गर्म पवन और आद्र समुद्री पवनों के मिलने से जो वर्षा होती है वह आम कि स्थानीय फसल के लिए लाभदायक होती है इसलिए इसे “आम्र वृष्टि” कहते है।

चक्रवात किसे कहते है?

चक्रवात की परिभाषा: वायुदाब में अंतर के कारण जब केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर उच्च वायुदाब हो तो वायु चक्राकार प्रतिरूप बनती हुई (उत्तरी गोलार्ध में) उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलने लगती है इसे चक्रवात कहते है।

 

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