जानें विकास बैंकों के बारें
प्रिय पाठक,
इस पोस्ट में हम आपको विकास बैंकों के बारें में बता रहे हैं| जो आपकी आगामी परीक्षाओं व साक्षात्कारों में सहायता करेगा| आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आएगी|
सर्वप्रथम हम जानते हैं विकास बैंक कौन-कौन से हैं:-
1.नाबार्ड
2.एक्सिम बैंक
3.राष्ट्रीय आवास बैंक
4.भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक
5.विश्व बैंक
6.एशियाई विकास बैंक
7.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
8.न्यू डेवलपमेंट बैंक,
9.गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
1.राष्ट्रीय कृषि एवं विकास बैंक (NABARD): नाबार्ड की स्थापना 'नाबार्ड अधिनियम 1981' के तहत एवं 'शिवरामन समिति' की सिफारिशें के आधार पर 12 जुलाई, 1982 को शीर्ष विकास बैंक के रूप में एवं कृषि, लघु उद्योग, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग, दस्तकारी एवं अन्य ग्रामीण शिल्प को बढ़ाने तथा इन क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को सुनिश्चित करने के अधिदेश के साथ की गई| इसकी स्थापना 100 करोड़ की प्रारम्भिक प्रदत्त पूँजी के साथ की गई| भारत सरकार द्वारा नाबार्ड की अधिकृत पूँजी को रुपए 20,000 करोड़ तक बढ़ाया गया है और समस्त पूँजी भारत सरकार द्वारा प्रदत्त की जाएगी|
कार्य:
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण देने वाली संस्थाओं को वित्त उपलब्ध कराना| ग्राहक बैंकों का मूल्याकन, निगरानी एवं पर्यवेक्षन|ग्रामीण विकास हेतु सरकार, रिजर्व बैंक एवं अन्य संस्थानों को सहयोग देना|सहकारी बैंकों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के नियामक के रूप में कार्य करना|ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में कार्यरत बैंकों, सहकारी समितियों एवं अन्य संस्थानों को प्रशिक्षण देना एवं अनुसंधानो में सहायता करना है| 2.भारतीय निर्यात-आयात बैंक (Exim Bank): आयात - निर्यात ब्कांक को सन 1982 में भारतीय आयात-निर्यात बैंक अधिनियम 1981 के अंतर्गत भारत के निर्यात को बढ़ावा देने वाली विकास बैंक के रूपों में स्थापित किया गया था|यह देश की प्रमुख निर्यात वित्त संस्था है भारत सरकार ने इस संस्था की स्थापना मात्र भारत से निर्यात को बढ़ाने के अधिदेश के लिए ही नहीं की थी, परन्तु देश के विदेश व्यार एवं निवेश द्वारा सम्पूर्ण आर्थिक विकास में गति लाने हेतु की थी| बैंक का मुख्य उद्देश्य आयातकों एवं निर्यातकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है एवं यह देश के विदेश व्यापार को बढ़ाने हेतु कार्य करने वाली संस्थाओं, जो माल एवं सेवाओं के आयात एवं निर्यात के लिए वित्त उपलब्ध कराती हैं के कार्य करने के तरीकों के समन्वय करने के लिए प्रमुख वित्तीय संस्थान है एक्सिम बैंक का प्रधान कार्यलय मुंबई में स्थति है एवं इस भारत एवं विदेशों में 17 कार्यालयों का समूह कार्यरत है|
3.राष्ट्रीय आवास बैंक (National Housing Bank-NHB): आवास वित्त की शीर्ष विकास संस्था के रूप में इसको स्थापना NHB अधिनियम 1987 के अंतर्गत 9 जुलाई को हुई थी एवं नै दिल्ली इसका प्रधान कार्यालय बनाया गया था| गृह वित्त के लिए कार्यरत संस्थाओं के विकास हेतु एवं इन संस्थाओं को वित्तीय एवं अन्य सहयोग प्रदान करने के मुख्य उद्देश्य के लिए एक प्रधान संस्था के रूप में इस बैंक स्थापना हुई थी| NHB अपने कोष बांध पत्र एवं ऋण पत्रों के द्वारा, अल्प अवधि ऋणों के रूप में रिजर्व बैंक से उधार, दीर्घकालीन परिचालनों के लिए भारत सरकार या अन अधिरित संस्थाओं से उधार के रूप में एकत्रित करता है|
4.भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI): सिडबी अधिनियम 1988 के प्रावधानों के अंतर्गत इसकी स्थान IDBI की सहायक संस्था के रूप में दिनांक 2 अप्रैल, 1990 को हुई थी| इसका प्रधान कार्यालय लखनऊ में है एवं इसकी शकाहएं समस्य भारत में स्थित है| इसके द्वारा लघु उद्योगों से सम्बंधित व्यापर जैसे राष्ट्रीय इक्विटी योजना एवं लघु उद्योग विकास कोष का कार्य IDBI से अपने हाथ में ले लिया गया था| सिडबी की स्थापना का उद्देश्य लघु उद्योग एवं अत्यंत छोटे उद्योगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वर्तमान संस्थानिक व्यवस्थाओं को विस्तृत एवं सुदृढ़ करना है|
1.एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank): एशिया के देशों के आर्थिक विकास हेतु दिनांक 22/8/1966 को एशियाई विकास बैंक की स्थापना एक क्षेत्रीय विकास बैंक के रूप में की गई थी| इस बैंक के 67 सदस्य देश हैं, जीनें से 47 सदस्य देश एशिया एवं प्रशांत महासागर क्षेत्र से एंव 19 सदस्य देश इससे बाहर के हैं| इस बैंक का ढांचा सामान्य रूप से विश्व बैंक के समरूप ही है एवं उसी प्रकार से वोटिंग अधिकार अपने सदस्य देशों को प्रदान करता है जिस अनुपात में उन देशों द्वारा इस बैंक में पूँजी लगाई है| वर्तमान में अमेरिका एवं जापान इस बैंक में अधिकतम पूँजी निवेश के साथ प्रथम क्रमांक पर हैं एवं दूसरे एवं तीसरे क्रमांक पर क्रमशः चीन एवं भारत हैं|
2.अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund): ब्रेटन वुड सम्मलेन के अंतर्गत विश्व बैंक की सहायक संस्था के रूप में यह दिनांक 27 दिसंबर,1945 को अस्तित्व में आया था| यह अपने सदस्य देशों को उनके विदेश व्यापर में वृद्धि में संतुलन एवं उनकी मुद्रा की बाहरी कीमत को बनाए रखने में आ रही कमियों की पूर्ति हेतु वित्त उपलब्ध कराता है| IMF अपने आपको "188 देशों के संगठन के रूप में" परिभाषित करता है| इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक सहयोग के पोषण के लिए, वित्तीय स्थायित्व को सुरक्षित करने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय व्यापर को सहज बनाने के लिए, उच्च रोजगार वृद्धि के लिए एवं उच्च आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए और गरीबी घटाने के लिए निर्धारित है|
3.न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank): ब्रिक्स संगठन द्वारा प्रवर्तित एक नया बैंक सन 2016 में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है| इसका निर्णय ब्रिक्स देशों के 15 जुलाई, 2014 को फोर्टलेज (ब्राजील) में हुए छठे सम्मलेन में किया गया| इस बैंक की पूँजी 100 अरब अमेरिकन डॉलर के आकस्मिक कोष का भी निर्माण किया जायेगा जिसमें चीन 41%, दक्षिणी अफ्रीका 5% एवं ब्राजील, रूस और भारत प्रत्येक 18% हिस्सा निवेश करेंगे| इस बैंक का प्रधान कार्यालय शंघाई (चीन) में होगा| इसका अफ्रीकन क्षेत्रीय कार्यालय जोहान्सबर्ग में स्थापित किया जायेगा| इस बैंक के प्रथम अध्यक्ष भारत से एवं प्रथम प्रबंध संचालक रूस से होंगे और यह 6 वर्ष कार्य करेंगे| इसके बाद इन पदों को वोटिंग के आधार पर 5 वर्ष के लिए चुना जायेगा| इस बैंक की स्थापना से पश्चिम आधारित बैंकों एवं डॉलर का प्रभुत्व कम करना संभव हो सकेगा|
4.गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC's): अगर एक कंपनी की वित्तीय आस्तियां कुल आस्तियों के 50 प्रतिशत से अधिक हो और विट्टी अस्तियों से प्राप्त होने बाली आय, सकल आय के 50 प्रतिशत से अधिक हो, इस दशा में इसे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी कहते हैं| आय एवं अस्तियों का मानदंड संचयी है| अतः आधार इयं के रूप में दोनों ही मानक साथ-साथ ही देखें जान चाहिए| ऐसे कंपनीज रिजर्व बैंक के नियंत्रण में आ जाती है|
भारत रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के खंड तीन (ब) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है| गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां वर्तमान में 12 माह से अधिकतम 60 माह तक के समय के लिए जनता से जमाएं स्वीकार कर सकती है एवं उनका नवीनीकरण कर सकती है| यह मांग पर भुगतान योग्य जमाएं (प्रमुख रूप से बचत एवं चालु खाते) स्वीकार नहीं कर सकत है|
गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई उच्चतम सीमा से अधिक ब्याज दरों का प्रस्ताव नहीं दे सकती है| वर्तमान में यह सीमा 12.5 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित की गई है| ब्याज को मासिक आधार से कम पर चक्रवृद्धि करके भूटान नहीं किया जा सकता है|
इन कंपनियों के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम द्वारा जमाओं के बीमे की बैंकों जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं है|
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