Saturday, 18 May 2019

वायुमंडल एवं उसकी परतें पर भूगोल नोट्स

वायुमंडल एवं उसकी परतें पर भूगोल नोट्स


वायुमंडल गैसों की एक पर्त है जो गृह अथवा पर्याप्त द्रव्यमान के किसी पदार्थ निकाय को अपने गुरुत्व भार से चारों तरफ घेरे रखती है। आइए हम इस विषय को गहराई से समझते हैं क्योंकि आगामी रेलवे और एस.एस.सी. परीक्षाओं 2018 के लिए यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है।


वायुमंडल


पृथ्वी को चारों ओर से घेरने वाली वायु के जाल को वायुमंडल कहते हैं।


वायुमंडल का विस्तार पृथ्वी सतह से 1000 कि.मी. की ऊंचाई तक है। परंतु वायुमंडल का कुल 99% द्रव्यमान मात्र 32 कि.मी. के अंदर ही पाया जाता है।


इसी कारण से वायुमंडल पृथ्वी के आकर्षण बल से बंधा रहता है।


वायुमंडल का संघटन


नाइट्रोजन – 78%


ऑक्सीजन – 21%


आर्गन – 0.93%


कार्बन डाइऑक्साइड – 0.03%


नियॉन – 0.0018%


हीलियम – 0.0005%


ओजोन – 0.0006%


हाइड्रोजन – 0.00005%


वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड कम मात्रा में पाई जाती है


यह वायु का एक महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसमें ऊष्मा को अवशोषित करने की क्षमता होती है। अतः यह वायुमंडल को गर्म रखता है, और पृथ्वी की ऊष्मा का संतुलन बनाए रखता है।


धूल के कण सूर्यताप को रोकते और परावर्तित करते हैं


वायु में उपस्थित प्रदूषित कण न केवल अधिक मात्रा में सूर्यताप अवशोषित करते हैं बल्कि स्थलीय विकिरण की अधिक मात्रा को भी अवशोषित करते हैं।


वायुमंडल में उपस्थित धूल के कणों के कारण ही हमें सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य लाल और नारंगी रंग का दिखाई पड़ता है।


वायुमंडल की पर्तें


वायुमंडल की पांच मुख्य पर्तें निम्नलिखित हैं –


क्षोभ मंडल


समताप मंडल


मध्य मंडल


तापमंडल


बाह्य मंडल 


वायुमंडल की पर्तों का विस्तृत वर्णन-


1. क्षोभमंडल


यह वायुमंडल की पहली पर्त है। विषुवत रेखा पर इसका विस्तार 18 कि.मी. और ध्रुवों पर इसका विस्तार 8 कि.मी. है।


इस पर्त में ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान में गिरावट आती है। इसका कारण यह है कि ऊंचाई बढ़ने के साथ वायु का घनत्व घटता जाता है और इसलिए ऊष्मा कम अवशोषित होती है। इसमें वायुमंडल की 90से अधिक गैसें मौजूद होती हैं।


चूंकि इस पर्त में अधिकांश जल वाष्प के बादल बनने के कारण, सभी वायुमंडलीय परिवर्तन क्षोभमंडल [(Troposhpere); Tropo = परिवर्तन)] में होते हैं।


वह ऊंचाई जहां पर तापमान का घटना बंद हो जाता है, ट्रोपोपॉज़ कहते हैं। यहां तापमान -58 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। 


2. समताप मंडल


यह वायुमंडल की दूसरी पर्त है। इसका विस्तार क्षोभसीमा से 50 कि.मी. ऊंचाई तक है।


इस पर्त में मौजूद ओजोन द्वारा सूर्य की पराबैंगनी किरणों के अवशोषण से तापमान बढ़ता है। तापमान धीरे-धीरे बढ़कर 4 डिग्री सेल्सियस हो जाता है।


यह पर्त बादलों और उससे जुड़े मौसमी प्रभावों से मुक्त होती है। इसलिए यह बड़े जेट प्लेन के लिए आदर्श उड़ान स्थिति प्रदान करती है। 


3. मध्य मंडल


समताप मंडल के ऊपर मध्य मंडल है।


मध्य मंडल का विस्तार 80 कि.मी. तक है।


यहां तापमान फिर से गिरता है और गिरकर -90 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।


इस पर्त के छोर को मध्यसीमा कहते हैं।


 4. तापमंडल


इस पर्त का विस्तार 640 कि.मी. तक है।


इस पर्त में तापमान वृद्धि का कारण यहाँ उपस्थित गैस के अणु हैं जो सूर्य की X-किरणों और पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करते है।


तापमंडल के विद्युत आवेशित गैस के अणु पृथ्वी से रेडियो तरंगों को अंतरिक्ष में भेजते हैं। इस प्रकार, यह पर्त लंबी दूरी के संवाद में सहायता करते हैं।


तापमंडल हमारी उल्का पिंडों और निर्जन उपग्रहों के पृथ्वी से टकराने से भी रक्षा करता है क्योंकि इसका उच्च तापनाम पृथ्वी सतह पर आने वाले सभी प्रकार के मलवों को जला देता है।


 5. बाह्य मंडल


बाह्य मंडल का विस्तार ताप मंडल से 960 कि.मी. तक होता है।


यह धीरे-धीरे अंतग्रहीय अंतरिक्ष में घुल जाता है।


इस पर्त में तापमान 300 डिग्री से लेकर 1650 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।


इस पर्त में केवल ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, आर्गन और हीलियम होती है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के अभाव में गैस के अणु आसानी से अंतरिक्ष में उड़ जाते हैं।


No comments:

Featured post

करेंट अफेयर्स साप्ताहिक एक पंक्ति:

करेंट अफेयर्स साप्ताहिक एक पंक्ति:  •    भारत और जिस देश के विदेश कार्यालयों के बीच 16वें दौर की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित ...