भारतीय कर संरचना पर अर्थशास्त्र की जानकारियॉ
जब देश अथवा राज्य की विधानसभा किसी नये कर पर कानून बनाती है तो सामान्यता चर्चाओं से कुछ सुझाव प्राप्त होते है जो देश चला रही सरकार के बारे में अथवा उस विशिष्ट कार्यक्रम के बारे मे होते है जो उस कर के द्वारा समर्थित होता है। यह एक माध्यम है जिसके द्वारा सरकार अपने खर्चों को नागरिको और व्यवसायी कंपनियो पर कर लगाकर प्राप्त करती है। अर्थशास्त्री इन दो प्रकार के लोगो में अंतर निकाल रहें है, एक वह जो कर के बोझ को झेल रहे है और एक वह जिन पर कर लगाया जाता है। भारत में कर, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा लगाये जाते है। कुछ छोटे कर जो क्षेत्रीय प्राधिकरणों जैसे- नगर निगम के द्वारा लगाये जाते है।
भारतीय संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 246 भारत की संसद और विधान सभाओं को कर निर्धारण सहित विधायी शक्तियॉ प्रदान करता है। केंद्रीय राजस्व बोर्ड अथवा राजस्व विभाग करों का प्रबंधन करने वाली सर्वोच्च संस्था है। यह वित्त मंत्रालय का एक भाग है जो केद्रीय राजस्व विभाग अधिनियम 1924 के परिणाम स्वरूप अस्तित्व में आया।
केंद्र सरकार, आय पर कर लगाती है (कृषि आय को छोड़कर क्यों कि इस पर राज्य सरकार कर लगाती है), सीमा शुल्क, सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद कर लगाती है।
राज्य सरकार, मूल्य सहित कर (वैट), स्टांप शुल्क, राज्य आबकारी कर, भूमि कर और व्यवसायिक कर लगाती है।
क्षेत्रीय संस्थायें, चुंगी, संपत्ति कर और अन्य सुविधाओं जैसे पानी, सीवर, गृह कर आदि लगाने का अधिकार रखती है।
भारतीय कर-निर्धारण व्यवस्था में, इसे दो भागों में बॉटा गया है- प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर।
प्रत्यक्ष कर- प्रत्यक्ष कर में बोझ सीधे करदाता पर पड़ता है।
आयकर विभाग- आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति जो कर-निर्घारिती है और उसकी कुल आय अधिकतम छूट सीमा से अधिक है तो उसको आयकर विभाग को वित्तीय अधिनियम में निर्धारित दर से कर अदा करना पड़ेगा। यह आयकर पिछले वर्ष की कुल आय पर संबंधित मूल्यांकन वर्ष में अदा किया जाता है।
संपत्ति कर- भारत में संपत्ति कर, संपत्ति कर अधिनियम 1957 के अंतर्गत लगाया जाता है। संपत्ति कर वो कर है जो मालिकाना संपत्ति से प्राप्त लाभों पर लगाया जाता है। ये कर आपको उसी संपत्ति पर साल दर साल उसकी बाजार कीमत के अनुसार अदा करना पड़ता है। कर इस पर भी निर्भर करता है कि करदाता की आवासीय स्थिती आयकर अधिनियम में प्रस्तावित आवासीय स्थिती के अनुसार होनी चाहिये।
अप्रत्यक्ष कर-
सेवा कर- यह कर देश में, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर बाकी पूरे देश में दी जाने वाली सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर है। सेवा कर एकत्र करने का दायित्व केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड का है। सन् 2012 से, सेवाकर सभी प्रकार की सेवाओं पर लगाया जाने लगा है केवल उन्ही सेवाओं पर यह कर नहीं लगाया जाता है जिन्हें विशिष्ट रूप से इस अधिनियम के अंतर्गत छूट प्राप्त है।
उत्पाद शुल्क- केंद्रीय उत्पाद शुल्क भारत मे निर्मित उत्पादों पर लगाया जाने वाला शुल्क है जो कि एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है। उत्पाद शुल्क सहित उत्पादो को इस प्रकार परिभाषित कर सकते है जो केंद्रीय उत्पाद शुल्क दर अधिनियम के अंतर्गत उत्पाद शुल्क श्रेणी में आते है। तीन प्रकार के उत्पाद शुल्क होते है-
साधारण उत्पाद शुल्क
अतिरिक्त उत्पाद शुल्क
विशिष्ट उत्पाद शुल्क
सीमा शुल्क- सीमा या आयात शुल्क भारत में आयात किये जाने वाले उत्पादों पर भारत सरकार द्वारा लगाया जाता है। किस दर पर उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाया जायेगा वो सीमा शुल्क दर के अंतर्गत विभाजित उत्पादों पर निर्भर करता है।
मूल्य सहित कर (वैट)- वैट एक प्रकार का उत्पादों पर लगाया जाने वाला बहुचरणीय कर है। यह कर उत्पादो के उत्पादन और आपूर्ति की कई अवस्थाओं पर करदाता द्वारा जमा किये गये मूल्य के अतिरिक्त की प्रत्येक अवस्था पर लगाया जाता है।
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