Tuesday, 14 May 2019

कुछ महत्‍वपूर्ण धातुएं एवं उनके प्रयोग

कुछ महत्‍वपूर्ण धातुएं एवं उनके प्रयोग


धातुएं:


धातुएं ऊष्‍मा और विद्युत की सुचालक होती हैं और इनमें लचीलापन एवं घातवर्धीनीयता गुण होता है।


सोना और चांदी सर्वाधिक लचीले एवं सर्वश्रेष्‍ठ खीचें जाने योग्‍य होते हैं।


चांदी ऊष्‍मा का सर्वश्रेष्‍ठ सुचालक है इसके बाद तांबा आता है।


एल्‍यूमीनियम और तांबा ऊष्‍मा के अच्‍छे सुचालक होते हैं जिसके कारण खाने के बर्तन इन धातुओं के बने होते हैं।


पारा विद्युत के प्रवाह में उच्‍च प्रतिरोध डालते हैं।


सोडियम और पोटेशियम इतने कोमल होते हैं कि इन्‍हें चाकू से भी काटा जा सकता है।


धातुएं प्रकृति में वैद्युत धनात्‍मक होती है।


लगभग सभी धात्विक ऑक्‍साइड प्रकृति में क्षारीय होती हैं लेकिन जिंक ऑक्‍साइड और एल्‍यूमीनियम ऑक्‍साइड उभयधर्मी प्रकृति के होते हैं।


क्षारीय धातुएं एवं उनके यौगिक


प्रथम समूह की धातुएं क्षारीय धातुएं होती हैं।


यह समूह तत्‍वों की आवर्त सारणी के s-ब्‍लॉक में स्थित होता है क्‍योंकि सभी क्षारीय धातुओं के सबसे बाहरी इलेक्‍ट्रॉन s-कक्ष मे पाया जाता है।


लीथियम, सोडियम, पोटेशियम, रुबिडियम और सीजियम आदि क्षारीय धातुएं हैं।


हवा से क्रिया को बचाने के लिये इन धातुओं को केरोसीन अथवा द्रव पैराफीन में डुबो कर रखते हैं।


सोडियम क्‍लोराइड (NaCl):


इसे सामान्‍य रूप से खाने वाला नमक कहते हैं।


सोडियम हाइड्रॉक्‍साइड और क्‍लोरीन गैस के निर्माण में इसका प्रयोग होता है।


कॉस्टिक सोडा के निर्माण में शुरुआती पदार्थ के रूप में प्रयोग होता है।


सड़क से बर्फ हटाने में उपयोग होता है। आज के समय में इस कार्य के लिये CaCl2 और MgClका उपयोग होता है।


सोडियम हाइड्रॉक्‍साइड (NaOH):


बॉक्‍साइट धातु के शुद्धिकरण में प्रयोग होता है।


साबुन, रंजक और कृत्रिम उद्योगों में।


सोडियम बाईकार्बोनेट (NaHCO3):


इसे बेकिंग सोडा (खाने वाला सोडा) के नाम से जानते हैं।


यह रूई की धुलाई में उपयोग होता है।


आग बुझाने के काम में उपयोग होता है।


सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3):


इसे धावन सोडा के नाम से जानते हैं।


कठोर जल को मृदु करने में काम आता है।


सोडियम कार्बोनेट और पोटेशियम कार्बोनेट के मिश्रण को संलयन मिश्रण कहते हैं।


सोडियम सल्‍फेट:


इसे ग्‍लॉबर लवण के रूप में जानते हैं।


यह जुलाब के तौर पर प्रयोग होता है।


सोडियम थायोसल्‍फेट:


इसको आम तौर पर हाइपो के रूप में जानते हैं और इसका प्रयोग फोटोग्राफी में फिक्सिंग एजेंट के रूप में होता है।


पोटेशियम कार्बोनेट:


इसे मोती की राख कहते हैं।


पोटेशियम हाइड्रॉक्‍साइड:


इसको कॉस्टिक पोटॉश के रूप में जानते हैं।


इसे मृदु साबुन के रूप में जानते हैं।


इसका जलीय विलयन पोटाश आई कहलाता है।


पोटेशियम सुपरऑक्‍साइड:


स्‍पेस कैप्‍सूल, पनडुब्‍बी और सांस मास्‍क में उपयोग होता है क्‍योंकि यह कार्बन डाइऑक्‍साइड और कार्बन मोनो ऑक्‍साइड हटाने में उपयोग होता है।


क्षारीय मृदा धातुएं और उनके यौगिक


आवर्त सारणी में समूह 2 मे क्षारीय मृदा धातुओं में छह तत्‍व होते हैं। वे बेरिलियम (Be), मैग्‍नीशियम (Mg), कैल्श्‍िायम (Ca), स्ट्रॉन्‍शीयम (Sr), बेरियम (Ba) और रेडिमय (Ra) हैं। इनके गुण समान होते हैं: ये सभी चमकीले, चांदी के समान सफेद, समान ताप और दाब पर कुछ हद तक क्रियाशील धातुएं हैं।


Mg(OH2) को मिल्‍क ऑफ मैग्‍नेशिया कहते हैं और इसका प्रयोग एण्‍टासिड में होता है।


कैलिशयम ऑक्‍साइड:


इसे क्विक लाइम भी कहते हैं।


इसका उपयोग कैल्शियम क्‍लोराइड, सीमेंट और ब्‍लीचिंग पाउडर के निर्माण में होता है।


कैल्शियम सल्‍फेट (CaSO4):


यह यौगिक त्रिस्‍तरीय जलयोजन (हाइड्रेशन) में पाया जाता है।


एनहाइड्रस स्थिति (खनिज का नाम: एनहाइड्राइट) इसका सूत्र CaSO4 है।


डाइहाइड्रेट (खनिज का नाम: जिप्‍सम) इसका सूत्र CaSO4(H2O)2 है।


हेमीहाइड्रेट इसका सूत्र CaSO4(H2O)0.5 है।


प्‍लास्‍टर ऑफ पेरिस के निर्माण के लिये ये जल का कुछ अंश निकाल देता है।


प्‍लास्‍टर ऑफ पेरिस सफेद रंग का पाउडर है जो कि जल के संपर्क में आने पर कठोर हो जाता है और मूर्तियों को बनाने में उपयोग होता है।


कुछ महत्‍वपूर्ण धातुएं एवं उनके उपयोग


एल्‍यूमीनियम (Al):


एल्‍यूमीनियम का अयस्‍क बॉक्‍साइट है।


यह भूपपर्टी में सबसे अधिक पाया जाने वाला तीसरा तत्‍व है।


खाना बनाने के बर्तनों को बनाने में प्रयोग होता है।


एम्‍मोनल, एल्‍यूमीनियम पाउडर और अमोनियम नाइट्रेट का मिश्रण है, विस्‍फोटक के तौर पर प्रयोग होता है।


टिन:


कैसिटराइट टिन का अयस्‍क है।


सफेद टिन का ग्रे टिन में बदलने की प्रक्रिया टिन रोग या टिन प्‍लेग कहलाता है।


लोहे को जंग से बचाने के लिये लोहे पर परत चढ़ाने में उपयोग होता है।


टिन अमलगम का उपयोग शीशों के निर्माण में होता है।


लेड (Pb):


लेड का मुख्‍य अयस्‍क गेलेना है।


चैंबर विधि के माध्‍यम से सलफ्यूरिक अम्‍ल बनाने में उपयोग होता है।


लेड एसिटेट को सुगर ऑफ लेड भी कहते हैं।


जिंक (Zn):


लोहे का जंग से बचाने के लिये गैलवनीकरण प्रक्रिया में उपयोग होता है।


जिंक ऑक्‍साइड का उपयोग X-किरण स्‍क्रीन बनाने में उपयोग होता है।


जिंक ऑक्‍साइड को रचनात्‍मक ऊन कहते हैं।


पारा (Hg):


यह एकमात्र धातु है जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्‍था में है।


यह लोहा और प्‍लेटिनम को छोड़कर सभी धातुओं के साथ मिलकर मिश्र धातुएं बनाता है।


निकिल (Ni):


यह चांदी जैसा कोमल धातु है।


एडिसन बैट्रियों में एनोड की जगह उपयोग होता है।


लोहा (Fe):


हेमेटाइट अयस्‍क से निष्‍कर्षित किया जाता है और अपनी क्रियाशीलता के कारण स्‍वतंत्र रूप में नहीं पाया जाता है।


कटे भाग से रक्‍त के प्रवाह को रोक‍ने के लिये फेरिक ऑक्‍साइड का उपयोग होता है।


नीली काली स्‍याही बनाने के लिये फेरस सल्‍फेट का उपयोग होता है।


स्‍टेनलेस स्‍टील:


यह लोहे, क्रोमियम और निकिल की मिश्र धातु है।


ऑटोमोबाइल पार्ट और बर्तन बनाने में उपयोग होता है।


 

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