Thursday, 16 May 2019

RRB JE 2019: रसायनिक बंध (Chemical bonding)

RRB JE 2019: रसायनिक बंध (Chemical bonding)


रसायनिक बंध:


आदर्श गैसों को छोड़कर परमाणु, अणु व आयन या विभिन्‍न तत्‍वों में स्थिर अथवा पूर्व अष्‍टक नहीं पाया जाता है इसलिये वे अपना अष्‍टक पूरा करने के लिये अन्‍य तत्‍वों से जुड़ते हैं। अन्‍य तत्‍वों से जुड़कर अपना अष्‍टक पूरा करने की प्रक्रिया को रसायनिक बंध कहते हैं।


संयोजकता:


संयोजकता वह मुख्‍य बिन्‍दु है जिसपर रसायनिक बंध निर्भर करता है।


किसी तत्‍व की संयोजकता उस तत्‍व के रसायनिक बंध बनाने की क्षमता है और यह परमाणु के बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्‍ट्रॉनों की संख्‍या के बराबर होती है।


आयन:


आयन विद्युत आवेशित कण होता है।


धनात्‍मक आवेशित कण को धनायन जबकि ऋणात्‍मक आवेशित कण को ऋणायन कहते हैं।


धनायन का निर्माण इलेक्‍ट्रॉन के त्‍याग से होता है। उदाहरण: (Na+, H+)


ऋणायन का निर्माण इलेक्‍ट्रॉन ग्रहण करने से होता है। उदाहरण: (F-, Cl-)


रसायनिक बंध के प्रकार:


इलेक्‍ट्रॉन के साझा अथवा हस्‍तांतरण के आधार पर रसायनिक बंध निम्‍न प्रकार के हो सकते हैं।


वैद्युत संयोजी बंध:


इलेक्‍ट्रॉन के एक परमाणु से दूसरे परमाणु में हस्‍तांतरण से बनने वाले बंध को वैद्युत संयोजी बंध अथवा आयनिक बंध कहते हैं।


वैद्युत संयोजी बंध से बनने वाले यौगिक को वैद्युत संयोजी यौगिक अथवा आयनिक यौगिक कहते हैं।


ये बंध धातु और अधातु के मध्‍य बनते हैं।


वैद्युत संयोजी यौगिकों का उच्‍च द्रवणांक और क्‍वथनांक होता है।


जल में घोलने पर वे विद्युत के सुचालक होते हैं।


वे जल में विलेय होते हैं लेकिन कार्बनिक विलेयकों एल्‍कोहल आदि में अविलेय होते हैं।


उदाहरण: एल्‍यूमीनियम ऑक्‍साइड (Al2O3), अमोनियम क्‍लोराइड (NH4Cl) और कैल्शियम क्‍लोराइड (CaCl2)


सहसंयोजी बंध:


वह बंध जो दो समान अथवा भिन्‍न परमाणु के मध्‍य इलेक्‍ट्रॉन के साझा करने से बनता है, सहसंयोजी बंध कहलाता है और इस बंध के कारण बनने वाला यौगिक सहसंयोजी यौगिक होता है।


सहसंयोजी बंध साझा इलेक्‍ट्रॉन युग्‍मों की संख्‍या के आधार पर एकल, द्वितीयक, तृतीयक हो सकता है।


सहसंयोजी यौगिकों के द्रवणांक और क्‍वाथनांक निम्‍न होते हैं।


वे वैद्युत चालन नहीं करते हैं और जल में अविलेय होते हैं लेकिन कार्बनिक यौगिकों में विलेय होते हैं।


उदाहरण: एल्‍कोहल (C2H5OH), अमोनिया (NH3), ईथेन (C2H6), मीथेन (CH4)


उपसहसंयोजी बंध:


जब दो परमाणुओं के मध्‍य इलेक्‍ट्रॉनों का एक तरफा हस्‍तांतरण होता है, तो इसे उपसहसंयोजी बंध कहते हैं।


उपसहसंयोजी बंध बनने की आवश्‍यक शर्त यह है कि किसी एक परमाणु का अष्‍टक पूरा होना चाहिए और कम से कम एक जोडी इलेक्‍ट्रॉन होना चाहिए और दूसरे परमाणु में एक जोड़ी इलेक्‍ट्रॉनों की कमी होनी चाहिए।


वे परमाणु जिनका अष्‍टक पूरा होता है और एक जोड़ी इलेक्‍ट्रॉन का साझा करते हैं, दाता कहलाते हैं।


दूसरा परमाणु जो इलेक्‍ट्रॉन युग्‍म को ग्रहण करता है, ग्राहक कहलाता है।


सिग्‍मा बंध:


परमाणु कक्षकों के क्षैतिज अतिव्‍यापन से निर्मित होने वाले बंध को सिग्‍मा बंध कहते हैं।


सिग्‍मा बांध में अतिव्‍यापन के अधिक होने से वे मजबूत बंध होते हैं।


पाई-बंध:


इस बंध का निर्माण परमाणु कक्षकों के पार्श्‍व अतिव्‍यापन से होता है।


चूंकि अतिव्‍यापन क्षेत्र के कम होने के कारण ये बंध कमजोर होते हैं।


उदाहरण: O2 में एक बंध सिग्‍मा और एक बंध पाई होता है।


हाइड्रोजन बंध:


जब दो अत्‍यधिक वैद्युत ऋणात्‍मक परमाणुओं के मध्‍य हाइड्रोजन बंध उपस्थित होता है तो यह एक से सहसंयोजी बंध से और दूसरे से कमजोर आकर्षण बल से जुडा होता है, हाइड्रोजेन बंध कहलाता है।


उदाहरण: H2O और HF में उप‍स्थित बंध।

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