अर्थशास्त्र शब्दावली 14
131. संचित निधि (कोष) : सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि में जमा होते हैं।
132. आकस्मिक निधि (कोष) : इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके।
133. पूंजीगत व्यय : सरकार द्वारा अधिग्रहीत विभिन्न संपत्तियों पर हुए खर्च को पूंजीगत व्यय की श्रेणी में रखा जाता है।
134. पूंजीगत प्राप्ति : इसमें सरकार द्वारा बाजार से लिए गए ऋण, भारतीय रिजर्व बैंक से ली गई उधारी और विनिवेश के जरिये प्राप्त आमदनी को शामिल किया जाता है।
135. नवीन पेंशन योजना (एनपीएस) : सरकार ने इसमें कई बदलाव किए हैं। नई भर्तियों को अब सरकारी पेंशन नहीं मिलेगी। कमर्चारियों को अपनी तन्ख्वाह में से ही अपनी पेंशन की बचत करनी होगी। यह बचत करना अनिवार्य नहीं है, न ही इसमें कोई अपर लिमिट है, लेकिन अगर आप इसे करते हैं, तो कम से कम 500 रुपये आपको इसमें हर महीने डालने होंगे। खास बात यह है कि निजी क्षेत्र में काम कर रहे लोग भी इसे अपना सकते हैं। फायदा यह है कि एनपीएस में जमा रकम की मियाद पूरी हो जाने पर जब कोई पैसा निकालेगा, तो उस पर उसी साल के कानून के मुताबिक टैक्स लगेगा।
136. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई): किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारत स्थित किसी कंपनी में अपनी शाखा, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक कंपनी द्वारा निवेश करने को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं।
137. आयकर (इन्कम टैक्स) : वह टैक्स, जो सरकार आपकी आय पर आय में से लेती है। आपकी आमदनी के पहले डेढ़ लाख रुपये पर कोई कर नहीं लगता। डेढ़ लाख के बाद की कमाई पर टैक्स लगता है। जिनकी तनख्वाह दस लाख रुपये सालाना से ज़्यादा है, वो टैक्स के ऊपर भी टैक्स देते हैं, जिसे सरचार्ज कहा जाता है। इन्कम टैक्स में निजी कमाई और कंपनियों की आमदनी दोनों शामिल हैं।
138. मानक कटौती (स्टैण्डर्ड डिडक्शन) : आप अपनी आमदनी में से इंश्योरेंस, सीपीएफ, जीपीएफ, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फंड, पांच साल से ज़्यादा की एफ़डी, होम लोन के प्रिंसिपल (मूलधन) जैसे निवेशों में लगा सकते हैं, और ऐसे ही निवेशों को जोड़कर एक लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट दी जाती है। इस एक लाख रुपये को आपकी कुल आय में से घटा दिया जाता है और उसके बाद इन्कम टैक्स का हिसाब लगाया जाता है।
139. उत्पाद कर (एक्साइज़ ड्यूटी) : यह देश में बने और यहीं बिकने वाले सामान पर वसूला जाता है। कंपनियों को फैक्ट्री में से सामान निकालने से पहले इसे भरना ज़रूरी है। यह ज़रूरी नहीं कि एक ही तरह की चीज़ों पर बराबर एक्साइज़ ड्यूटी लगाई जाए। यह सरकार की कमाई के सबसे बड़े साधनों में से एक है।
140. औद्योगिक कर : औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाने वाले कर। यह उस प्रतिष्ठान के मालिक पर लगाए गए व्यक्तिगत कर से अलग होता है।
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