Sunday, 13 October 2019

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक


I. इस विधेयक के अनुसार 75 फीसदी ग्रामीण आबादी तथा 50 फीसदी शहरी आबादी को प्रति माह क्रमश: 3 रुपये किलो चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और 1 रुपये मोटा अनाज सहित 5 किलो खाद्यान्न प्रति माह पाने की हकदार होगी।


II. प्राथमिकता वाले परिवारों को (अंत्योदय अन्न योजना के तहत) प्रति माह, प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न दिया जाएगा। प्राथमिकता और अंत्योदय परिवारों के संयुक्त क्षेत्र ( "पात्र परिवार" कहा जाता है) का विस्तार किया जाएगा जो "ग्रामीण आबादी में 75% तक और शहरी आबादी में 50% तक होगा।


III. विधेयक में स्थानीय आंगनवाड़ी के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए उम्र के अनुसार, मुफ्त भोजन देने का वादा किया गया है।


IV. विधेयक में स्थानीय निकायों द्वारा चलाये जा रहे सभी स्कूलों में 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग वाले बच्चों को प्रत्येक दिन नि: शुल्क मध्याह्न भोजन देने का प्रावधान है।


V. कुपोषण से पीड़ित बच्चों की पहचान स्थानीय आंगनवाड़ी के माध्यम से की जाएगी और उन्हें स्वस्थ्य बनाने के लिए पर्याप्त आहार दिया जाएगा।


VI. हर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली मां (गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद) को किश्तों में 6000 रूपये के मातृत्व लाभ के साथ-साथ निकटतम आंगनबाड़ी केंद्र से एक नि: शुल्क भोजन दिया जाएगा।


VII. विधेयक में पीडीएस के लिए पात्र लाभार्थियों के चयन के मापदंड निर्दिष्ट नहीं हैं; इस कार्य को संबंधित राज्य सरकारों के लिए छोड़ दिया गया है।


VIII. विधेयक राज्य खाद्य आयोगों के निर्माण का अधिकार प्रदान करता है। प्रत्येक आयोग में एक अध्यक्ष, पांच अन्य सदस्य, एक सचिव (कम से कम दो महिलाओं सहित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से भी एक सदस्य) होंगे।


IX. विधेयक में दो स्तरीय शिकायत निवारण वाली संस्था का भी प्रावधान है जिसमें एक समस्या निस्तारण अधिकारी (DGRO) और राज्य खाद्य आयोग शामिल है।


देश की 75% आबादी को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया यह बहुत महत्वपूर्ण कानून है। इससे ने केवल कुपोषण वाले बच्चों की संख्या का पता लगाने में मदद मिलेगी, बल्कि पूरे देश में पांच साल से कम आयु वाले बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के साथ- साथ गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। इस पूरी परियोजना के कार्यान्वयन की कुल लागत लगभग 1.24 लाख करोड़ रुपए होगी।


 


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