अर्थशास्त्र शब्दावली 15
141. सेवा कर (सर्विस टैक्स) : वह कर, जो आप सेवाओं पर देते हैं। जम्मू−कश्मीर के अलावा बाकी सभी राज्यों में सर्विस प्रोवाइडर को सर्विस टैक्स देना होता है। पहले यह 12 फीसदी था, लेकिन आर्थिक मंदी के चलते अब इसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। सर्विस टैक्स फोन, रेस्तरां में खाना, ब्यूटी पार्लर या जिम जाने जैसी सेवाओं पर वसूला जाता है।
142. वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) : वैट वह कर है, जो आप किसी सामान की खरीद पर देते हैं। यह कर सेवाओं पर नहीं होता। जिन राज्यों में वैट लागू है, वहां पर एक्साइज़ ड्यूटी और सर्विस टैक्स अलग से वसूला जाता है। वैट राज्य स्तर पर वसूला जाता है। वैट वसूली की चार दरें हैं - यह शून्य से साढ़े बारह फीसदी तक होती हैं। ज़रुरी सामान - जैसे जीवनरक्षक दवाओं पर कोई वैट नहीं लगता, जबकि तंबाकू, शराब जैसे चीज़ों पर साढ़े बारह फीसदी की दर से वैट वसूला जाता है।
143. विक्री कर (सेल्स टैक्स) : सरकार किसी भी सामान की खरीद-फरोख्त पर कर वसूलती है। देश के ज्यादातर राज्यों मे अब सेल्स टैस की जगह वैट ने ले ली है, लेकिन सेल्स टैक्स सेवाओं पर भी वसूला जाता है। एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान के जाने पर चार फीसदी केन्द्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी) लगाया जाता है, जिसे अब धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है।
144. फ्रिंज बेनेफिट टैक्स (एफबीटी) : कंपनियां अपने कमर्चारियों को फोन, कार या एलटीए, एलटीसी जैसी यात्राओं के लिए सुविधाएं देती हैं। इनके बदले उन पर जो टैक्स लगाया जाता है, उसे एफबीटी कहते हैं। लेकिन अधिकतर उद्योग संगठन अथवा कंपनियां एफबीटी का बोझ कमर्चारियों पर ही डाल देती हैं और इसे उनकी तनख्वाह में से काटा जाता है। कंपनियां एफबीटी को टैक्स की दोहरी मार मानती हैं, क्योंकि वे आय पर भी टैक्स देती हैं और सहूलियतों पर भी।
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