राज्यव्यवस्था - राज्यपाल के कार्य एवं शक्तियां
राज्यपाल के कार्य एवं शक्तियां (Governor’s power and duties)
1. राज्यपाल को राष्ट्रपति के अनुरूप कार्यकारी, विधायी, विधि और न्याय शक्तियां प्राप्त होती हैं |
2. परंतु राज्यपाल को राष्ट्रपति के समान कूटनीतिक सैन्य या आपातकालीन शक्तियां प्राप्त नहीं है |
3.राज्यपाल की शक्तियों और उसके कार्यों को कार्यकारी, विधायी, वित्तीय और न्यायायिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है |
कार्यकारी शक्तियां (Executive powers)
संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार राष्ट्र राज्य की कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित की गई हैं जिनका प्रयोग वह स्वयं या तो प्रत्यक्ष रुप से करता है या अपने अधीन कर्मचारियों द्वारा कराता है|
राज्यपाल को निम्नलिखित कार्यकारी शक्तियां प्राप्त हैं –
1. राज्य का समस्त शासन राज्यपाल के नाम पर चलाया जाता है वह उन सब विषयों पर शासन चलाता है जिनके संबंध में राज्य के विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है |
2. राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तथा उसके परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्तियां करता है मंत्री और महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद ग्रहण करते हैं वह राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को नियुक्त करता है किंतु वह अन्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को नहीं हटा सकता आयोग के सदस्य उच्चतम न्यायालय के प्रतिवेदन पर कुछ और ने कुछ निर्हताओं के होने पर ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकते हैं | (अनुच्छेद 217)
3. मंत्री अपने पद पर राज्यपाल के प्रसादपर्यंत रहते हैं राज्यपाल किसी मंत्री को मुख्यमंत्री के परामर्श से हटा सकता है |
4. वह शासन कार्य को सुविधा पूर्वक चलाने के लिए तथा उस कार्य को मंत्रियों में बांटने के लिए नियम बनाता है |
5. वह राज्य के महाधिवक्ता और राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों को नियुक्त करता है |
6. राज्य के अन्य अधिकारियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा ही की जाती है |
7. राज्यपाल मंत्री के किसी निर्णय को मंत्रिपरिषद के पास विचार करने के लिए वापस भेज सकता है |
8. वह प्रशासन के बारे में मुख्यमंत्री से कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है
9. राज्यपाल राज्य की विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के एक सदस्य को नियुक्त कर सकता है | (अनुच्छेद 333)
10. असोम के राज्यपाल को यह अधिकार दिया गया है कि वह अनुसूचित कबीलों का विशेष ध्यान रखें |
11. राज्यपाल को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति नहीं है किंतु इस विषय पर राष्ट्रपति उसने परामर्श करता है | [अनुच्छेद 217(1)]
12. राज्यपाल जब यह अनुभव करें कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है कि राज्य का प्रशासन लोकतंत्रात्मक परंपराओं के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है तथा राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजता है पर राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक संकट की घोषणा पर वह राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार राज्य का शासन चलाता है | (अनुच्छेद 356)
13. राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा उपकुलपतियों को भी नियुक्त करता है किंतु राज्यपाल को बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से उत्पन्न परिस्थितियों का सामना करने वाली ऐसी कोई बाह्य शक्ति प्राप्त नहीं है जैसी राष्ट्रपति को प्राप्त है | [अनुच्छेद 352 (1)]
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